दो लड़कियों के बलात्कार और हत्या के अपराध सिद्ध व्यक्ति को मृत्युदंड दिया जाता है। फाँसी होने के ठीक कुछ समय पहले व्याकुलता में वह एक जेल अधिकारी से पूछता है कि फाँसी के दौरान क्या मुझे तकलीफ होगी ? अधिकारी उसे जवाब देता है कि यह तकलीफ बलात्कार और हत्या किये जाने की तकलीफ से अधिक नहीं होगी। प्रक्रियानुसार उसे फाँसी दे दी जाती है। इस मामले से जुड़े नैतिक मुद्दे कौन-से हैं ? मृत्युदंड के पक्ष और विपक्ष में अपने तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर :
दिये गए मामले में निम्नलिखित नैतिक मुद्दे हैं –
- जीने के अधिकार का उल्लंघन- यहाँ कुल तीन लोगों के जीने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। अपराध का शिकार हुई दोनों लड़कियों के साथ-साथ स्वयं अपराधी के भी जीवन का अधिकार बाधित हो रहा है।
- निजी शुचिता का अतिक्रमण- उस व्यक्ति के कृत्य ने उन दोनों लड़कियों की निजी शुचिता का अतिक्रमण किया है।
- देश के कानून का उल्लंघन- निवारक नियमों के रूप में स्थापित देश के कानून का उल्लंघन भी इस मामले में एक नैतिक पहलू है।
- जीवन के अंतिम समय में अमानवीय व्यवहार- यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि समाज को मृत्यु के नज़दीक खड़े व्यक्ति से दया एवं मर्यादा पूर्ण व्यवहार करना चाहिये। एक जघन्य अपराधी, जिसे कुछ ही क्षणों में मृत्यु दंड दिया जाना है, जो उस भय से पहले ही व्याकुल हो रहा है, वह भी उन क्षणों में मानवीय व्यवहार का हकदार है। यदि जेल अधिकारी इस समय भी उसे मानसिक यातना देने वाला व्यवहार करता है तो एक सभ्य समाज के सदस्य और एक अपराधी में क्या अंतर रह जाएगा?
- मृत्युदंड- व्यक्ति ने बलात्कार और हत्या का जघन्य अपराध किया है,परंतु क्या उसे फांसी दे देना, न्याय को सुनिश्चित करता है? क्या यह उचित होगा कि मानसिक कुंठा और विकृति में किये गए अपराध के बदले एक सभ्य समाज अपराधी के साथ भी वही व्यवहार करे जो उस अपराधी ने पीड़ित के साथ किया?
मृत्युदंड के पक्ष में तर्क –
- समाज को यह संदेश देना आवश्यक है कि इस तरह के कृत्य सभ्य समाज में बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं हैं।
- इस मामले में बलात्कार के लिये कारावास और बलात्कार के बाद हत्या के लिये भी आजीवन कारावास का प्रावधान यह संभावना बढ़ा देगा कि अपराधी दोनों ही अपराधों को अंजाम दे दे और ऐसे में यह भी संभावना रहेगी कि उसका अपराध कभी सामने ही न आए।
- अमेरिका, भारत, पाकिस्तान ,चीन, इंडोनेशिया, ईरान और खाड़ी के देश, सभी में कुल मिलाकर विश्व की आधी से अधिक जनसंख्या रहती है। यदि इन सभी देशों में मृत्युदंड का प्रावधान है , तो इसका अर्थ है कि आधी से अधिक दुनिया इसका समर्थन करती है।
मृत्युदंड के विपक्ष में तर्क –
- ऐसे कोई भी प्रमाण नहीं हैं जिनसे ये निर्धारित किया जा सके कि मृत्युदंड से बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों की संख्या में कमी आई है।
- विश्व के ज़्यादातर राष्ट्रों ने मृत्युदंड का प्रावधान अपनी न्यायिक व्यवस्था से हटा दिया है।
- मृत्युदंड, प्रतिशोध का एक कृत्य मात्र है, जबकि सभ्य समाजों में दंड का उद्देश्य सुधार या अपराध का निवारण होता है।
- “प्राण के बदले प्राण” , गांधी जी के उस कथन की भाँति ही है जिसमे वे कहते हैं कि “ आँख के बदले आँख की नीति सारे संसार को अंधा बना देगी”।