आप किसी राज्य में अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा/चिकित्सा शिक्षा) के पद पर कार्यरत हैं। आपके राज्य के कुछ क्षेत्रों में वर्ष के कुछ माह के दौरान विशेष प्रकार की संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है, जिसका प्रभाव बच्चों पर अधिक पड़ता है। इससे पूर्व भी इस बीमारी के कारण बड़ी संख्या में लोग मौत के शिकार हुए हैं। उस घटना को लेकर राज्य के प्रशासन और चिकित्सा व्यवस्था की काफी आलोचना हुई थी। हालाँकि उस घटना से आहत होकर सरकार ने विशेषज्ञों की एक टीम गठित की थी, परंतु टीम ने बीमारी की प्रकृति को देखकर नियंत्रण पर बल देने को कहा था। एक अपर मुख्य सचिव के रूप में इस स्थिति से किस प्रकार निपटेंगे?
उत्तर :
उपर्युक्त स्थिति राज्य की चिकित्सा व्यवस्था को सशक्त और उत्तरदायी बनाने पर बल देती है। इस स्थिति में निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं-
- सबसे पहले इस संक्रामक बीमारी के प्रसार-क्षेत्र, समय और कारणों के बारे में जानकारी जुटाना आवश्यक है जिससे कि सही समय पर उपयुक्त कदम उठाया जा सके। साथ ही इस बीमारी के कारणों और उसके संभावित लक्षणों के बारे में विस्तृत रोडमैप तैयार करने के लिये विशेषज्ञों की एक टीम गठित की जाएगी, जो निश्चित समय-सीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
- चूँकि पूर्व में गठित विशेषज्ञों की टीम द्वारा इस बीमारी की समाप्ति के बदले इसके नियंत्रण पर बल देने को कहा गया था। अतः नियंत्रण के लिये सभी संभावित पहलों की सूची तैयार कर संक्रमण संभावित क्षेत्रों सहित संपूर्ण राज्य के चिकित्सा अस्पतालों और चिकित्सा महाविद्यालयों में इस संदर्भ में सूचना प्रेषित की जाएगी।
- विदित हो कि यह संक्रमण वर्ष के किसी खास मौसम में होती है, अतः इस मौसम से पहले राज्य के सभी ज़िलों के चिकित्सा प्रमुखों, सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों और ज़िला प्रशासन की एक संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें संक्रमण के दौरान आवश्यक सभी उपकरणों की जानकारी ली जाएगी और कमी पाए जाने पर अविलंब आपूर्ति की जाएगी। साथ ही ज़िला प्रशासन को जन जागरूकता हेतु संक्रमण के कारण व उससे बचाव के बारे में प्रचलित क्षेत्रीय भाषा में बोर्ड व अन्य माध्यम से कदम उठाने के बारे में निर्देश दिया जाएगा।
- चूँकि इस बीमारी से बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं, अतः संक्रमण संभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त शिशुरोग विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी। ताकि संक्रमण की स्थिति में इसे महामारी में बदलने से बचाया जा सके और बच्चों की मृत्यु को टाला जा सके। इसके अतिरक्त सभी अस्पतालों में इस संक्रमण के मरीज़ों को विशेष देखभाल जैसे आईसीयू में रखे जाने की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी।