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प्रश्न :
गांधी जी के विचारों में क्या पर्यावरणवाद की भी झलक मिलती है ? विश्लेषण करें।
18 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
गांधी जी ने कहा था -“मुझे प्रकृति के अतिरिक्त किसी प्रेरणा की आवश्यकता नहीं है। उसने कभी मुझे विफल नहीं किया। वह मुझे चकित करती है, भरमाती है, आनंद की ओर ले जाती है।”
वर्तमान संदर्भ में हम पर्यावरण और गांधी जी की तकनीकी शब्दावली को सीधे तौर पर नहीं जोड़ सकते, परंतु पर्यावरण की समस्या आज जिस रूप में हमारे सामने उभरी है, उसे गांधी जी के नियमों पर चलकर ही सुलझाया जा सकता है। पर्यावरण और गांधी जी के विचारों व व्यवहार के बीच संबंध को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-- पर्यावरण प्रदूषण, प्रकृति के साथ की जाने वाली हिंसा का ही एक रूप है। गाँधी जी जब अहिंसा की बात कर रहे थे, तब वे सिर्फ इंसानों की नहीं, बल्कि पूरे जैव समुदाय की बात कर रहे थे।
- एक वस्त्र में ही आधा जीवन गुज़ार देने वाले गांधी जी यह संदेश देते हैं कि कम उपभोग की नीति पर चलकर, अपने लालच को कम करके तथा प्रकृति के न्यूनतम दोहन द्वारा ही पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
- गांधी जी का चरखा आधुनिकता का विरोधी नहीं है , बल्कि वह उस अनियंत्रित औद्योगीकरण का विरोधी है , जिसने आज पर्यावरण की हालत दयनीय कर दी है।
- खादी का प्रयोग न केवल सादगी का प्रतीक है, बल्कि खादी के वस्त्र प्रकृति के करीब भी हैं। यदि हम खादी के हिमायती हैं, तो हम पर्यावरण के भी हिमायती हैं।
- हम किसी भी गांधीवादी मुहिम को देखें तो उसे पर्यावरण के करीब ही पाएंगे। चाहे वह अनुपम मिश्र जैसे गांधीवादी द्वारा जल के सीमित उपभोग और उसके संरक्षण की शिक्षा देने की बात हो, पेड़ों को बचाने चंडी प्रसाद भट्ट और सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा पेड़ों से चिपककर अनूठा आंदोलन चलाने की बात हो या मेधा पाटकर के नर्मदा बचाओ आंदोलन की बात हो, जिसमें जीवनयापन के संसाधनों को बचाने के संघर्ष ने समय के साथ पर्यावरणवाद का रूप ले लिया।
गांधी जी कहते थे कि “जो व्यक्ति अपनी दैनिक आवश्यकताओं को कई गुना बढ़ा लेता है वह सादा जीवन उच्च विचार के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता।” मनुष्य-जीवन की सादगी में ही पर्यावरण संरक्षण का रहस्य छुपा हुआ है। उनका प्रसिद्ध वक्तव्य “प्रकृति हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है, परंतु हमारे लालच की नहीं”, आज समकालीन पर्यावरणीय आंदोलनों के लिये नारा बन गया है।
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