साधन-साध्य संबंध पर व्यक्त विभिन्न नैतिक विचारों का उल्लेख करें। इस विषय पर गांधी जी के विचार किस प्रकार भिन्न हैं?
28 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा –
|
साधन–साध्य संबंध में नैतिक प्रश्न यह है कि साधन का नैतिक मूल्य साध्य से स्वतंत्र है या साध्य पर निर्भर करता है। इस विषय पर विभिन्न नैतिक विचार निम्नलिखित हैं-
गांधी जी इन सभी विचारों को नकारते हैं। उनका दावा है कि साध्य अपने आप में चाहे कितना भी पवित्र हो, वह साधन को पवित्र नहीं बना सकता। इसी दृष्टि पर चलते हुए गांधी जी ने स्वाधीनता संग्राम को अहिंसक सत्याग्रह का रूप दिया। गांधी जी ने समाजवाद के आदर्श को अच्छा मानते हुए भी सोवियत संघ के समाजवाद का समर्थन नहीं किया था क्योंकि हिंसा और तानाशाही जैसे साधनों को समाजवाद का उद्देश्य भी पवित्र नहीं बना सकता।
गांधी जी मानते थे कि मनुष्य के स्वभाव में दुर्बलताएँ होती हैं और वह हमेशा उत्कृष्ट व्यवहार नहीं कर सकता। वे यह भी मानते थे कि अत्यंत विरल परिस्थितियों में अशुभ साधन को चुनना ज़रूरी हो सकता है किंतु ऐसे साधनों से प्राप्त होने वाले साध्य को पूर्णतः नैतिक नहीं माना जा सकता।
गांधी जी के अतिरिक्त स्वामी विवेकानंद का भी कहना है कि हम जितना साध्य पर ध्यान देते हैं, उससे अधिक हमें साधन पर ध्यान देना चाहिये। गांधी जी ने साध्य और साधन की एकता की शर्त रखी। बुरे साधनों से प्राप्त साध्य भी उनके अनुसार भ्रष्ट है। यदि साधन हिंसात्मक हैं, तो शांति का लक्ष्य कभी प्राप्त नहीं हो सकता। साध्य और साधन की पवित्रता और एकरूपता पर ही सिद्धि का भवन खड़ा होता है।