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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रतिस्पर्द्धा सेवा प्रदाताओं और ग्राहकों को किस प्रकार प्रभावित करती है ? उदाहरण सहित टिप्पणी करें।

    16 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • प्रतिस्पर्द्धा क्या होती है, उसकी विशेषता या लक्षण संक्षिप्त में लिखें।
    • प्रतिस्पर्द्धा के लाभों को बिंदुवार लिखें। 
    • निष्कर्ष

    प्रतिस्पर्द्धा किसी क्षेत्र में एकाधिकार को समाप्त करने का उत्तम उपकरण है। यह सेवा प्रदाता और हित-ग्राहकों दोनों के लिये लाभदायक है। प्रतिस्पर्द्धा का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लक्षण बड़ी संख्या में सेवा प्रदाताओं और ग्राहकों की उपस्थिति है। प्रतिस्पर्द्धा स्वस्थ और विनाशकारी दोनों हो सकती है। जब दो प्रतिस्पर्द्धी किसी भी कीमत पर एक-दूसरे से जीतने का प्रयास करें, तो ऐसी प्रतिस्पर्द्धा विनाशकारी होती है। लेकिन रचनात्मक प्रतिस्पर्द्धा, प्रतिस्पर्द्धियों के प्रदर्शन में सुधार के लिये प्रेरक होती है। 

    प्रतिस्पर्द्धा के लाभ-

    • प्रतिस्पर्द्धा नवाचार को प्रेरित करती है। यह सृजनात्मक सोच को बढ़ावा देती है। प्रतिस्पर्द्धा में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिये नवीन विचारों का होना अनिवार्य है। कई प्रकार की नई प्रौद्योगिकियाँ और नई व्यावसायिक रणनीतियाँ प्रतिस्पर्द्धा से प्रेरित नवाचार के कारण ही जन्म लेती हैं। 
    • अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने और बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये प्रतिस्पर्द्धा, कंपनियों को अपने उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
    • प्रतिस्पर्द्धा उपभोक्ता को चयन के लिये काफी सारे विकल्प देती है। इससे ग्राहक अपनी आवश्यकता और पसंद के अनुसार गुणवत्ता वाली सामग्री वाज़िब कीमत पर खरीद सकता है। 
    • प्रतिस्पर्द्धा से संगठनों को उनकी वास्तविक क्षमता और कमज़ोरियों का पता चलता है। सामान्यतः किसी क्षेत्र में एकाधिकार रखने वाला संगठन अपनी कमियों पर ध्यान नहीं देता है। प्रदर्शन और गुणवत्ता में सुधार प्रतिस्पर्द्धा की मांग है, जिसके लिये अपनी कमियों का आभास होना ज़रूरी है। 
    • प्रतिस्पर्द्धा में जीवित रहने के लिये विभिन्न नई तकनीकों और रणनीतियों को अपनाना पड़ता है। इससे संगठन के कर्मचारियों के कौशल में वृद्धि होती है।  

    कई वर्षों पहले भारत में विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी या सार्वजनिक कंपनियों का एकाधिकार था। इन क्षेत्रों में जैसे ही निजी कंपनियों का प्रवेश हुआ, वैसे ही एक प्रतिस्पर्द्धी माहौल बना और पाया गया कि जहाँ खुली प्रतिस्पर्द्धा है, वहाँ सरकारी क्षेत्र कमज़ोर दिखाई पड़ता है। उदाहरण के लिये टेलीकॉम क्षेत्र में निजी कंपनियों को लाइसेंस मिलते ही सेवाओं की लागत में गिरावट आई और भ्रष्टाचार के मामलों में भी कमी देखने को मिली। लगभग ऐसा ही विमानन क्षेत्र, बैंकिंग क्षेत्र आदि में भी देखने को मिला। 

    रिलायंस जिओ ने मुफ्त कॉल और इंटरनेट सेवा प्रदान करके ग्राहकों को तो संतुष्ट कर दिया, लेकिन इस कदम ने प्रतिस्पर्द्धा की मूल भावना को चोट पहुँचाई है। प्रतिस्पर्द्धा आक्रामक नहीं, रचनात्मक होनी चाहिये। अतः स्पष्ट है कि स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा सेवा प्रदाताओं और ग्राहकों दोनों के लिये लाभदायक होती है।

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