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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    मंत्रियों के लिये नैतिक संहिता पर द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के विचार और इसके लिये की गई सिफारिशें कौन-सी हैं?

    19 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रेखा-

    • मंत्रियों की नैतिक संहिता पर द्वितीय प्रशासनिक आयोग के विचारों को बिंदुवार लिखें।
    • इस विषय पर आयोग ने जो सिफारिशें की हैं, उनको लिखें। 
    • निष्कर्ष

    मंत्रियों से प्रशासन के नेतृत्व तथा मार्गदर्शन की आशा की जाती है। ऐसे में मंत्रियों के भी आचार और व्यवहार को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है। दूसरे प्रशासनिक आयोग ने मंत्रियों के लिये नैतिक तथा आचरण संहिता पर निम्नलिखित विचार प्रस्तुत किये हैं-

    • मंत्रियों को सामूहिक नेतृत्व का पालन करते हुए नैतिकता के सर्वोच्च मानक बनाए रखने चाहिये।
    • अपने विभाग की नीतियों, निर्णयों और कार्यों की जानकारी संसद या विधायिका को देना मंत्रियों का कर्त्तव्य है।
    • मंत्रियों को हितों के टकराव से बचना चाहिये। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिये कि  उनके कार्यालयीन कर्त्तव्यों और निजी हितों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न न हो।
    • मंत्रियों को अपने राजनीतिक या दलीय तथा निजी हितों की पूर्ति के लिये सरकारी संसाधनों का प्रयोग नहीं करना चाहिये। 
    • मंत्रियों को सिविल सेवकों की राजनीतिक निष्पक्षता को बनाए रखने में सहयोग करना चाहिये। 
    • सरकारी निधि का उपयोग उचित ढंग से किया जाना सुनिश्चित करना चाहिये।
    • मंत्रियों को अपनी कार्यशैली में वस्तुनिष्ठता, ईमानदारी, निष्पक्षता, समानता आदि का समावेश और अभ्यास करना चाहिये।

    उपरोक्त बिंदुओं के आलोक में आयोग ने निम्नलिखित सिफारिशें की हैं –

    • मंत्रियों के लिये आचरण संहिता के साथ-साथ नैतिक संहिता भी होनी चाहिये। 
    • प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्रियों को नैतिक तथा आचरण संहिता के पालन को सुनिश्चित करने के लिये अपने-अपने कार्यालयों में विभिन्न इकाइयों की स्थापना करनी चाहिये।
    • नैतिक संहिता और आचार संहिता को साझा सरकारों पर भी लागू होना चाहिये। 
    • इन संहिताओं के संबंध में एक वार्षिक प्रतिवेदन बनाया जाना चाहिये, तथा उसमें सहिंता के उल्लंघन के मामले और उन पर की गई कार्रवाही का उल्लेख भी होना चाहिये।
    • नैतिक संहिता, आचार संहिता और इनके पालन से संबंधित वार्षिक रिपोर्ट को जनता के बीच विमर्श के लिये रखा जाना चाहिये।

    अतः द्वितीय प्रशासनिक आयोग की इन अनुशंसाओं पर ज़रूरी कदम उठाए जाने चाहिये।

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