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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    अभिरुचि और रुचि में क्या संबंध है? एक सिविल सेवक में कौन-सी अभिरुचियों का होना वांछनीय है ?

    23 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • रुचि की संक्षिप्त परिभाषा दें।
    • रुचि व अभिरुचि में संबंध को समझाएँ।
    • एक सिविल सेवक के लिये ज़रूरी अभिरुचियों का उल्लेख करें।
    • निष्कर्ष

    रुचि का अर्थ है कि विकल्पों की उपस्थिति में व्यक्ति किस विकल्प का चयन करता है, जैसे- पढ़ने, खेलने या सोने में से यदि कोई खेलने को चुनता है तो खेलना उसकी रुचि है। रुचि से यह तय नहीं होता कि कार्य विशेष में व्यक्ति के निष्पादन का स्तर क्या होगा। 

    अभिरुचि और रुचि में निम्नलिखित संबंध हो सकते हैं- 

    • किसी व्यक्ति में किसी क्षेत्र के प्रति अभिरुचि का स्तर अधिक हो पर रुचि बिल्कुल न हो, जैसे- किसी में शतरंज खेलने के लिये आवश्यक ऊँची तार्किक क्षमता हो, किंतु उसे शतरंज में ही रुचि न हो।
    • किसी व्यक्ति में क्षेत्र विशेष के प्रति रुचि हो, परंतु आवश्यक अभिरुचि न हो।
    • यदि न ही अभिरुचि हो और न ही रुचि हो, जैसे- एक वकील को न तो पहाड़ पर चढ़ने की रुचि है न अभिरुचि । ऐसे में सफलता की संभावना ही नहीं है। 
    • सबसे बेहतर स्थिति है उच्च रुचि तथा उच्च अभिरुचि की एक साथ उपस्थिति। जिन व्यक्तियों में यह संयोग मिलता है  वे अपने क्षेत्र में अतिशय सफल होते हैं, जैसे- सचिन तेंदुलकर, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम आदि। 

    एक अच्छे सिविल सेवक में निम्नलिखित अभिरुचियाँ होनी चाहियें-

    • भाषा पर सूक्ष्म पकड़- सिविल सेवा में निर्णय की संपूर्ण प्रक्रिया नोटिंग और ड्राफ्टिंग के माध्यम से होती है। इसके अलावा सिविल सेवक को बहुत सारे प्रतिवेदन लिखने और पढ़ने पड़ते हैं। यदि कोई व्यक्ति शब्दों के गलत प्रयोग के माध्यम से सिविल सेवक को बहकाने में सफल हो जाए तो एक गलत निर्णय देश को हानि पहुँचा सकता है। इसलिये जटिल-से-जटिल कथनों का सटीक अर्थ समझने की क्षमता और कठिन तथा उलझी हुई बातों को सरल व पारदर्शी भाषा में लिखने की क्षमता अच्छे सिविल सेवक के लिये आवश्यक है। 
    • उच्च तार्किक क्षमता- जटिल परिस्थितियों को समझना, विभिन्न क्षेत्रों के तथ्यों को आपस में जोड़ना तथा उनका विश्लेषण करना आदि कार्य करने होते हैं। इसके लिये उच्च तार्किक क्षमता होनी चाहिये। 
    • सिविल सेवक के सेवाकाल में कई ऐसे मौके आते हैं जब उसे कठिन निर्णय लेने होते हैं और उसके निर्णय में थोड़ी-सी भी चूक कई व्यक्तियों के जीवन पर भारी पड़ सकती है। सही निर्णय पर पहुँचने के लिये सिविल सेवक में सकारात्मक और सुलझा हुआ दृष्टिकोण होना आवश्यक है। 
    • सिविल सेवक से गणित का गहरा ज्ञान अपेक्षित नहीं है, परंतु उसे गणित की आधारभूत धारणाएँ समझने में तथा सामान्य गणनाएँ करने में समस्या नहीं होनी चाहिये।
    • एक अच्छे सिविल सेवक से आशा की जाती है कि वह समाज को उचित नेतृत्व दे सके। इसके अलावा उसे बहुत सारे कर्मचारियों का प्रबंधन करना होता है। अतः एक लोक सेवक में दूसरे की भावनाओं, बातों और विचारों को समझने की अपनी बात को सटीक तरह से समझाने की क्षमता होनी चाहिये। 

    संघ लोक सेवा आयोग ने कुछ वर्ष पूर्व एक सुधारात्मक कदम उठाते हुए निर्धारित किया कि सिविल सेवा के प्रारंभिक चरण में ही उम्मीदवारों की अभिरुचि का परीक्षण किया जाए। इसके लिये आवश्यक दक्षताओं के आधार पर CSAT नामक विशेष अभिरुचि परीक्षण विकसित किया गया, हालाँकि इसे एक अलग प्रश्न-पत्र के रूप में रखा जाता है। सामान्य रूप में एक सिविल सेवक बनने के लिये व्यक्ति में अपने आस-पास तथा विश्व की घटनाओं और स्थितियों व समस्याओं को जानने व समझने की आदत होनी चाहिये।

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