लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    “एक सिविल सेवक को राजनीतिक रूप से असंबद्ध होना चाहिये, लेकिन यह उसके लिये संभव नहीं है।” विश्लेषण करें।

    27 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-
    • राजनीतिक असंबद्धता को संक्षिप्त में परिभाषित करें।

    • सिविल सेवकों में राजनीतिक असंबद्धता की आवश्यकता को समझाएँ।

    • वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में राजनीतिक असंबद्धता की स्थिति बताएँ।

    • निष्कर्ष

    सिविल सेवा में राजनीतिक असंबद्धता से तात्पर्य किसी भी राजनीतिक दल या उसकी विचारधारा से प्रभावित हुए बिना तटस्थ एवं निष्पक्ष रहते हुए अपने कर्त्तव्य का पालन करना है। यह संभव है कि सरकार से जुड़े राजनीतिक दल की कोई विशेष विचारधारा हो और किसी सिविल सेवक की विचारधारा बिल्कुल विपरीत हो, तो इस परिस्थिति में उससे अपेक्षा की जाती है कि किसी भी विचारधारा से प्रभावित हुए बिना वह अपने परामर्शों में ईमानदारी और तटस्थता बरते।

    राजनीतिक असंबद्धता की आवश्यकता क्यों है –

    • किसी भी राजनीतिक विचारधारा के प्रति असंबद्धता राजनीतिक तटस्थता को बनाए रखना सुनिश्चित करती है, जो कि नौकरशाही की कार्य कुशलता के लिये महत्त्वपूर्ण अवयव है।
    • एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि नौकरशाही का अस्तित्व निरंतर है, जबकि विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकारों में लगातार परिवर्तन होता रहता है। राजनीतिक तटस्थता को बनाए रखकर ही सिविल सेवक नीतियों के वांछित परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
    • भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में वोट बैंक की राजनीति के चलते किसी राजनीतिक दल का किसी समुदाय विशेष के प्रति झुकाव हो सकता है। ऐसे में एक राजनीतिक रूप से तटस्थ सिविल सेवक नीति निर्माण और उनके क्रियान्वयन के समय गैर-भेदभावपूर्ण परामर्शों से सभी के लिये न्याय सुनिश्चित कर पाएगा।
    • राजनीतिक संबद्धता नौकरशाही और राजनीतिक नेताओं के बीच गठजोड़ का कारण बनती है, जिसका परिणाम भ्रष्टाचार के रूप में सामने आता है, जो कि देश के समाज और अर्थव्यवस्था के लिये घातक प्रवृत्ति है।
    • राजनीतिक रूप से असंबद्ध नौकरशाही की मौजूदगी से जनता का प्रशासन पर विश्वास बना रहता है।

    आदर्श स्थिति में तो एक सिविल सेवक को राजनीतिक तटस्थता को हर हाल में बनाए रखना चाहिये, लेकिन आज के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में सिविल सेवकों की राजनीतिक तटस्थता संदिग्ध हो गई है। इसे निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-

    • ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं जहाँ सिविल सेवक स्थानांतरण या महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति के बदले अपनी तटस्थता को शिथिल होने देते हैं। यह प्रवृत्ति अन्य सिविल सेवकों को भी ऐसा ही करने के लिये प्रेरित करती है।
    • नीतियों के क्रियान्वयन के साथ-साथ सिविल सेवक नीतियों के निर्माण की प्रक्रिया से भी जुड़े होते हैं। ऐसे में सरकार से जुड़े राजनीतिक दल की विचारधारा से न्यूनाधिक प्रभावित होना स्वाभाविक है।
    • सिविल सेवक का धर्म, जाति या समुदाय भी उसकी राजनीतिक तटस्थता को प्रभावित करने वाले कारक हैं।
    • आज समाज के विभिन्न वर्ग कई माध्यमों से आपस में इतने जुड़े हुए हैं कि व्यक्ति का किसी-न-किसी विचारधारा के प्रभाव में आना स्वाभाविक है।

    सिविल सेवकों के लिये स्थानांतरण और पदोन्नति के लिये पूर्व निर्धारित दिशा-निर्देशों को आधार बनाया जाना चाहिये। साथ ही नौकरशाही में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिये। नौकरशाही देश के प्रशासन का महत्त्वपूर्ण ढाँचा है, इसमें कोई भी त्रुटि एक बुरे प्रशासन के रूप में परिलक्षित होगी। अतः नौकरशाहों और राजनीतिक दलों दोनों की यह ज़िम्मेदारी है कि शासन-प्रशासन के वास्तविक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये एक गैर-पक्षपाती सिविल सेवा का होना सुनिश्चित करें।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2