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प्रश्न :
अंततः कानून ही नैतिक शासन के लिये आधार के रूप में कार्य कर सकता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने जवाब की औचित्य के साथ व्याख्या करें।
12 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
अंततः कानून ही नैतिक शासन के लिये आधार के रूप में कार्य कर सकता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने जवाब की औचित्य के साथ व्याख्या करें।
उत्तर- कानून सरकार द्वारा संहिताबद्ध मानदंड है, जो अपने नागरिकों के साथ सिविल सेवक को क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये, को परिभाषित करता है। लोकतंत्र में कानून लोगों के प्रतिनिधियों द्वारा बनाया जाता है, इसलिये परोक्ष रूप से लोगों ने इन कानूनों पर अपना अनुमोदन दिया होता है। अंततः ये कानून वास्तव में देश के लोगों की माँग को पूरा करने के लिये सिविल सेवकों को क्या करना चाहिये, उसे परिभाषित करते हैं।
जब तक सिविल सेवक लोगों की माँग को समझ नहीं पायेंगे, तब तक वे ठीक तरह से सेवा नहीं कर पायेंगे। इन परिस्थितियों में कानून जनता के हित में सिविल सेवकों को कर्त्तव्यों का प्रदर्शन करने में उन्हें मदद करते हैं। इस तरह कानून नैतिक शासन लाने के लिये मदद करता है।
मानव जीवन का अधिकार, शांति, खुशी का अधिकार जैसे कुछ प्राकृतिक अधिकारों के साथ पैदा होता है और जो कानून इन अधिकारों का उल्लंघन करते हैं वे नैतिक शासन नहीं ला सकते हैं। जो कानून प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करने में विफल होते हैं, उन कानूनों को अनुचित माना जाता है।
जो कानून प्राकृतिक कानून के अनुरूप हैं, उन्हें न्यायोचित माना जाता है और अगर वे प्राकृतिक नियम का उल्लंघन करें तो वे नैतिक शासन नहीं ला सकते हैं।
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