प्रायः समाचारों में खबरें आती रहती हैं कि भारतीय सेना में अधिकारियों की बहुत कमी है। देश के युवाओं का सेना से लगाव सोशल मीडिया पर तो दिखाई देता है परंतु सेना में भर्ती होकर देश-सेवा करना उनकी प्राथमिकता नहीं होती। वे क्या कारण हैं जिनके चलते आज के युवाओं की अभिवृत्ति ऐसी हो गई है? आपके विचार से अनिवार्य सैन्य सेवा लागू कर देना, क्या एक उचित कदम होगा?
20 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा-
|
वर्तमान में भारतीय सेना के तीनों अंगों में लगभग ग्यारह हजार अधिकारियों की कमी है। ऐसा नहीं है कि भारतीय युवा अपने देश से प्रेम नहीं करते या वे देश सेवा के लिये तत्पर नहीं है। परंतु यह भी सही है कि विभिन्न कारक उन्हें सेना को पेशे के तौर पर अपनाए जाने से रोकते अवश्य हैं, जैसे-
इन सबके बावजूद देश में ऐसे युवाओं की कमी नहीं है जो सेना की कठोर जीवन शैली को स्वीकारते हैं और सेना में शामिल होकर देश की सेवा करते हैं। वैसे ऐसा भी नहीं है कि केवल सेना में शामिल होकर ही देश सेवा की जाती है। युवा अपने मनवांछित क्षेत्रों में श्रेष्ठतम उद्यम करके भी देश की सेवा करते हैं।
जहाँ तक अधिकारियों की कमी को पूरा करने के लिये अनिवार्य सैन्य सेवा लागू किये जाने का प्रश्न है तो अभी इसकी आवश्यकता प्रतीत नहीं होती। सातवाँ वेतनमान व वन रैंक वन पेंशन की मांग मान लिये जाने के बाद युवाओं का रूझान सेना को पेशे के तौर पर अपनाने के प्रति निश्चित रूप से बढ़ा है। इसके अतिरिक्त सेना भी अपनी प्रशिक्षण सुविधाओं को तेजी से विस्तारित करते हुए अधिकारियों में 18 प्रतिशत कमी को सन् 2021 तक 12 प्रतिशत पर लाने के लिये कार्य कर रही है।