नैतिकता की दृष्टि से अपूर्ण माहौल में राजनीति में पूर्णता की उम्मीद करना अवास्तविक एवं एकपक्षीय है। भारतीय राजनीति में नैतिक मूल्यों के क्षरण के क्या कारण हैं? राजनीति में नैतिक मूल्यों में कैसे सुधार लाया जा सकता है?
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- राजनीति में नैतिकता की आवश्यकता को संक्षेप में व्यक्त करें।
- राजनीति में नैतिक मूल्यों के क्षरण के कारणों का उल्लेख करें।
- राजनीति में नैतिक मूल्यों में सुधार के लिये उपाय सुझाएँ।
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राजनीति में बने कुछ महत्त्वपूर्ण नैतिक मानक, गहराई से शासन के सभी पहलुओं को प्रभावित करते हैं। नागरिक अपने प्रतिनिधियों से उनके पेशेवर और निजी जीवन में उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखने की अपेक्षा करते हैं और समाज की अच्छाई के लिये प्रतिबद्धता से काम करने की उम्मीद रखते हैं। लेकिन हाल के दिनों में हमने अपने राजनीतिक प्रतिनिधियों द्वारा अनैतिक प्रथाओं के विभिन्न उदाहरणों को देखा है, इसलिये नैतिकता की दृष्टि से अपूर्ण माहौल में राजनीति में पूर्णता की उम्मीद करना अवास्तविक ही होगा।
राजनीति में नैतिक मूल्यों के क्षरण के कारण-
- धनबल और बाहुबल के आधार पर अनेक अपराधी राजनीति में आ रहे हैं। अपनी राजनीतिक सफलता की वजह से बेईमान और भ्रष्ट लोग जनता के प्रेरणास्रोत बन रहे हैं, इससे समाज की नैतिकता पर असर पड़ रहा है।
- केवल अच्छे नेता ही विकास और प्रगति की दिशा में लोगों का नेतृत्व कर सकते हैं और वे समाज की बुराइयों के खिलाफ लड़ सकते हैं। भारत में अच्छे नेताओं की काफी कमी है।
- लोगों की सामाजिक स्थिति को उनकी धन-संपत्ति से मापने की सामाजिक मानसिकता भ्रष्टाचार के लिये प्रोत्साहित करती है। इसीलिये लोग किसी भी माध्यम से अपनी संपत्ति वृद्धि पर ज़ोर देते हैं और इसके लिये भ्रष्टाचार एक आसान माध्यम है। इस भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा शिकार सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं का वितरण है।
- चुनाव में उम्मीदवार बहुत बड़े पैमाने पर खर्च करता है और जीतने के बाद उस पैसे की प्रतिपूर्ति के लिये लग जाता है।
- राजनीति में बढ़ता हुआ पक्षपात, भाई-भतीजावाद इत्यादि नैतिक मूल्यों का और क्षरण कर रहे हैं।
राजनीति में नैतिक मूल्यों में सुधार करने के लिये सुझाव-
- सभी राजनीतिक दलों द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने के लिये आचार संहिता को अपनाना, उदाहरण- आपराधिक रिकॉर्ड रखने वाले व्यक्तियों को पार्टी का टिकट न देना।
- सभी राजनीतिक दलों द्वारा प्रतिवर्ष अपने आय-व्यय खातों का खुलासा करना और सभी पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाना चाहिये।