निम्नलिखित के अंतर स्पष्ट करें – (i) प्रतिमान (मानदण्ड) और मूल्य (ii) भावुकतावाद और व्यक्तिपरकतावाद (iii) दृढ़तामूलक न्याय और वितरणमूलक न्याय (iv) कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व
24 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न(i) प्रतिमान (मानदंड) और मूल्य
किसी सामाजिक समूह द्वारा जिन बातों को नैतिक रूप से सही या अच्छा बताया जाता है, उनका समुच्चय ही मूल्य है।
उदाहरणः ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, ज़िम्मेदारी
मानदंड, समाज द्वारा प्रबंधित व्यवहार के सामान्य स्थापित मानक होते हैं। यह औपचारिक या अनौपचारिक दोनों हो सकता है। जैसे- किसी देश का कानून वहाँ का मानदंड है।
(ii) भावुकतावाद और व्यक्तिपरकतावाद
कुछ दार्शनिकों का मानना है कि नैतिकता व्यक्तिपरक है। इसके अनुसार नैतिक दावे दो तरह के होते हैं- (क) मात्र हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति होते हैं (ख) हमारी भावनाओं का प्रस्तुतीकरण होते हैं।
प्रथम भावुकता के अंतर्गत आता है जबकि द्वितीय आत्मवाद के अंतर्गत आता है।
उदाहरणः गांधीजी द्वारा अपने भाई के चुराए सामान को गलत समझना ‘भावुकता’ है, परंतु इस भावना को पत्र लिखकर अपने पिता को बताना और फिर कभी ऐसा न करने का आश्वासन देना आत्मवाद (Subjectivism) है।
(iii) दृढ़तामूलक न्याय और वितरणमूलक न्याय
दृढ़ न्याय का आशय चीज़ों को उनकी पुरानी स्थिति में पहुँचाने से है अर्थात् जैसी वे पहले थी। इसे सुधारात्मक न्याय भी कहा जाता है। इसमें अपराधी अपने कृत्य हेतु माफी महसूस करता है व इसमें पश्चाताप का भाव होता है।
वितरणात्मक न्याय को आर्थिक न्याय के रूप में भी जाना जाता है। यह निष्पक्षता को सुनिश्चित करता है। इसकी जड़े सामाजिक व्यवस्था में हैं और यह समाजवाद का आधार है जिसका मौलिक सिद्धांत समानता है।
(iv) कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व
कर्त्तव्य किसी चीज़ या व्यक्ति के प्रति नैतिक प्रतिबद्धता है। इसमें कुछ करने की सक्रिय भावना होती है। इसमें व्यक्ति कार्य में बिना किसी निजी हित के सम्मिलित होता है।
जैसेः संविधान का समर्थन करना किसी व्यक्ति का कर्त्तव्य है।
ज़िम्मेदारी बिना किसी पर्यवेक्षण के अपनी इच्छा पर कार्य करने की क्षमता है। इसमें व्यक्ति कार्य को पूर्ण करने का आत्मदायित्व महसूस करता है।