सिविल सेवक, जिन्होंने सरकारी आदेश का पालन करने के लिये स्वेच्छा से सरकार के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं, वे उन आदेशों का पालन करने के लिये बाध्य हैं, भले ही वे आदेश उनके अंतःकरण के खिलाफ हों। क्या यह सत्य है? अपने मत के समर्थन में तर्क दीजिये।
26 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नहालाँकि सिविल सेवक सरकारी आदेश की अवज्ञा न करने के सांविधिक दायित्व के अधीन आते हैं, परंतु हमेशा वे अपनी अंतरात्मा के संकट के अधीन नहीं हो सकते, इसलिये जब सरकारी आदेश उनकी अंतरात्मा के खिलाफ जाता है तो उन्हें अपनी अंतरात्मा की आवाज़ का पालन करना पड़ता है। जब तक वे सेवा में रहते हैं उन्हें लगभग सभी मामलों में सही विवेक के अनुसार कार्य करना पड़ता है।
विवेक का अर्थः
जब हम विवेक की बात करते हैं, इसका अर्थ अच्छाई एवं बुराई के बारे में व्यक्तिगत कृत्य का एक बौद्धिक दृढ़ विश्वास है। जब व्यक्ति विवेक के तहत कार्य करता है वह अखण्डता को बनाए रखता है, इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति अपने विचार तथा कृत्य में एकरूपता बनाए रखता है।
विवेक को मोटे तौर पर दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है-
जब हम यह कहते हैं कि व्यक्तिगत कृत्य उसके ईमानदार विश्वास से संबंधित होना चाहिये, यही अंतरात्मा है और यह एक तर्क प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त किया जाना चाहिये। हम इस सच्चाई से अवगत हैं कि मानव दूसरे प्राणियों से भिन्न है क्योंकि मानव में ही समझदारी का एक अनूठा चरित्र व्याप्त है। इसलिये मानव स्वायत्तता तथा स्वतंत्र विचार का उपभोग करता है और इसके अधीन ही कार्य करता है।
इसलिये जब मानव विवेक से कार्य करता है तो इसका परिणाम अच्छा होता है और जब अविवेक से कार्य करता है तब परिणाम बुरा होता है।
सिविल सेवक को सच्चे विवेक के तहत कार्य करना चाहिये, इसके लिये उन्हें अविवेक से किये कार्य की जानकारी पहले होनी चाहिये। इसलिये जब वह अच्छे विवेक के अंतर्गत कार्य करेगा तो यह नैतिकता की दृष्टि से वांछनीय होगा।
किसी समय कोई निर्णय अविवेक के तहत हो सकता है। उस मामले में सिविल सेवक को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करना चाहिये कि उसका निर्णय गलत है और उचित कार्रवाई करनी चाहिये। सिविल सेवक को अपनी अंतरात्मा की आवाज़ की दिशा में कार्य करने से पहले स्वविवेक के करीब पहुँचने के पर्याप्त प्रयास सुनिश्चित करने चाहिये। इसका तात्पर्य यह है कि सिविल सेवक को कार्य करने से पहले स्वविवेक का पर्याप्त अनुभव हासिल कर लेना चाहिये। संदिग्ध विवेक के मामले में सिविल सेवक को कार्रवाई नहीं करनी चाहिये। परंतु जब स्थिति यह हो कि संदेह को हल किया जा सकता है, वहाँ वे इन रणनीतियों का अनुसरण कर सकते हैं-:
1. व्यक्ति बहुत संभव प्रतीत होने वाले निर्णय का चयन कर सकता है,
या
2. जो निर्णय ज़्यादा ठोस संभावित प्रतीत होता हो।
अगर विवेक अभी भी संदिग्ध प्रतीत होता है, तो विवेक का पालन नहीं करना चाहिये। इन मामलों में कानून का पालन किया जाना चाहिये।