‘प्रवाह’ की स्थितियाँ जैसा कि सकारात्मक मनोविज्ञान में परिभाषित हैं, एक अवस्था है जिसमें चुनौतियाँ और कौशल समान रूप से सुमेलित होती हैं, ये कार्यस्थल पर लोक प्राधिकारियों को अभिप्रेरित करने वाले महत्वपूर्ण कारक हो सकते हैं। (a) इस प्रकार की अवस्था कैसे प्राप्त की जा सकती है और इसके निहितार्थ क्या होंगे? (b) क्या आपको लगता है कि यह सभी कर्मचारियों के लिये समान रूप से उपयोगी है?
28 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नप्रवाह (flow) सकारात्मक मनोविज्ञान में ‘जोन’ (Zone) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति एक गतिविधि (कार्य) को पूर्ण करने में सक्रिय ध्यान एवं पूर्ण भागीदारी से निमग्न हो जाता है तथा इस प्रक्रिया में आनंद का अनुभव करता है। यह एकाग्रता की स्थिति को प्रदर्शित करता है। विभिन्न इकाइयों (सरकारी या प्राइवेट) में कार्यरत कर्मचारियों की कार्यक्षमता संवर्धन हेतु यह एक आवश्यक मानसिक अवस्था है जिसे प्राप्त करने हेतु निम्न परिस्थितियाँ महत्त्वपूर्ण हैं-
प्रवाह हेतु आवश्यक परिस्थितियों को देखने पर यह कहा जा सकता है कि आदर्श रूप में इसे सभी कर्मचारियों पर एकसमान रूप से लागू किया जाता है, परंतु व्यावहारिक स्तर पर ऐसा कर पाना संभव नहीं है। स्पष्ट है कि व्यावहारिक स्तर पर लक्ष्यों का स्पष्टीकरण, फीडबैक की तीव्रता और व्यक्तिगत कौशल सबंधी विशेषताओं की प्रत्येक कर्मचारी में भिन्नता पाई जाति है। यदि प्रथम दो परिस्थितियों अर्थात् लक्ष्यों के स्पष्टीकरण व फीडबैक की तीव्रता को सभी कर्मचारियों हेतु एकसमान भी कर लिया जाए तो भी व्यक्तिगत कौशल एक प्राकृतिक कारण के रूप में प्रवाह को चुनौती प्रस्तुत करता है। अतः इकाइयों को कर्मचारियों में प्रवाह की स्थिति को बढ़ाने हेतु अच्छी कार्य-संस्कृति के विकास का प्रयास करना चाहिये।