केस अध्ययन : आप एक ज़िले के ज़िलाधीश हैं। आपके ज़िले के एक प्रमुख स्थान पर मंदिर/मस्जिद में सुबह-शाम उपासना/नमाज़ के समय काफी शोर-शराबा होता है। उस क्षेत्र में रहने वाले विद्यार्थियों का एक समूह आपसे शिकायत करता है कि इस शोर के कारण वे पढ़ नहीं पाते हैं। आपके ज़िले में इस समय सांप्रदायिकता का माहौल नहीं है किंतु आपको डर है कि कोई कदम उठाने से माहौल बिगड़ सकता है। प्रश्न : आप क्या कदम उठाएंगे और क्यों ?
उत्तर :
मामले की परिस्थितियों से उत्पन्न मुद्दों को लिखें, जैसे :
- धार्मिक संगठन का धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार जिसमें धर्म का प्रचार करने की स्वाधीनता भी शामिल है।
- विद्यार्थियों का शिक्षा का अधिकार तथा गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार जिसमें निहित है कि व्यक्ति को मानवोचित परिस्थितियाँ मिलनी चाहिये।
उपर्युक्त मुद्दों को ध्यान में रखते हुए आप द्वारा की गई कार्यवाही और उसके आधार को लिखें, जैसे :
- उपर्युक्त दोनों मुद्दों को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट होता है कि विद्यार्थियों का गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार धार्मिक प्रचार के अधिकार की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसके लिये निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे :
♦ धार्मिक संगठनों के प्रमुख सदस्यों से बात करके उन्हें समझाया जाए कि विद्यार्थियों की पढ़ाई किसी भी अन्य विषय की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण है।
♦ सर्वोच्च न्यायालय का आदेश जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि रात 10 बजे के बाद और सुबह 6 बजे के पहले, आपात स्थितियों को छोड़कर लाउडस्पीकर यंत्रों का प्रयोग करना मना है, से सभी को अवगत कराया जाए।
♦ बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर उस समुदाय के कुछ ज़िम्मेदार युवक-युवतियों तथा विद्यार्थियों के माता-पिता को भी सहमति बनाने की प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है।
♦ यदि उपर्युक्त सभी प्रयास निष्फल होते हैं और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि अपनी नाजायज़ मांगों पर अड़े रहते हैं तो कठोरतापूर्वक सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करवाया जा सकता है।
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
नोट: निर्धारित शब्द-सीमा में विश्लेषित करके लिखें।