"मनुष्य अपनी स्वतंत्रता के लिये अभिशप्त है क्योंकि एक बार विश्व में झोंक दिये जाने के बाद वह उस प्रत्येक चीज़ के लिये ज़िम्मेदार होता है जो वह करता है।"
27 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नमेरी राय में इस वक्तव्य का आशय है कि व्यक्ति अपने भाग्य का स्व-निर्माता है, चाहे परिस्थितियाँ और निर्णयात्मक स्थान (decisional niche) कैसा भी हो। यदि कोई व्यक्ति पूर्ण निष्ठावान और दृढ़ प्रतिज्ञ है तो वह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर मील का पत्थर स्थापित कर सकता है।
ध्यातव्य है कि कई बार परिस्थितियाँ और पर्यावरण मानव के पूर्ण नियंत्रण में नहीं होते हैं, लेकिन निर्णय और उसके परिणाम मानव की हद में होते हैं। उदाहरण के तौर पर ‘कैदी की दुविधा’ यह बताती है कि कुल मिलाकर स्थिति कैदी के नियंत्रण में नहीं होती है लेकिन कैदी की पसंद (Choice) पर ही परिणाम आंशिक रूप से निर्भर करता है।
हम अपनी पसंद, निर्णय इत्यादि के लिये पूर्णतया स्वतंत्र है परन्तु इन निर्णयों व पसंदों के परिणामों को वहन करने की ज़िम्मेदारी भी हमारी है, फिर चाहे वो परिणाम अच्छे हों या बुरे। इसे वर्तमान समय में भारतीय प्रशासन के संदर्भ में देखा जा सकता है। जहाँ एक ओर नौकरशाही पर यथा स्थिति (status quo) बनाए रखने का आरोप लगता है, क्योंकि राजनैतिक शक्तियाँ और मीडिया का अति सनसनीखेज प्रस्तुतीकरण निर्णय लेने में बाधा उत्पन्न करते हैं। वहीं दूसरी ओर अशोक खेमका, दुर्गाशक्ति नागपाल, हेमंत करकरे और अन्य यह दर्शाते है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी कार्य का उचित क्रियान्वयन किया जा सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में 2009 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी Armstrong Pame द्वारा बिना सरकारी सहायता के मणिपुर से नागालैंड को जोड़ने वाली 100 किमी सड़क का निर्माण लोगों के सहयोग से करवाना एक प्रासंगिक उदाहरण है।