भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244, अनुसूचित व आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। इसकी पाँचवीं सूची का क्रियान्वयन न हो पाने से वामपंथी पक्ष के चरमपंथ पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण कीजिये।
10 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा
संविधान के भाग-ग् और अनुच्छेद 244 के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए उत्तर आरंभ करें-
संविधान के भाग-ग् में देश के अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के संबंध में विशिष्ट प्रावधान किये गए हैं। इस प्रयोजनार्थ अनुच्छेद 244 के तहत संविधान का एक पृथक् अनुबंध अनुसूच-5 (पाँचवीं अनुसूची) के रूप में बनाया गया है।
विषय-वस्तु के पहले भाग में हम अनुसूची-5 के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे-
संविधान की अनुसूची-5 असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिज़ोरम को छोड़कर 10 राज्यों के अनुसूचित क्षेत्र व अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण से संबंधित है। अनुसूचित जनजातियों के कल्याण एवं उत्थान के लिये 5वीं अनुसूची में संबंधित राज्यों में जनजातीय सलाहकार परिषद की स्थापना, राज्यपाल द्वारा ऐसे क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राष्ट्रपति को सूचना भेजना, राज्य विधानमंडल या संसद द्वारा पारित अधिनियमों को ऐसे क्षेत्र में लागू नहीं करना या संशोधित रूप में लागू करना या संशोधित रूप में लागू करना, जैसे कई प्रावधान शामिल किये गए हैं।
5वीं अनुसूची में निहित उद्देश्यों की पूर्ति के लिये संसद द्वारा ‘पेसा अधिनियम’ 1996 पारित किया गया। ‘पेसा’ के अंतर्गत 5वीं अनुसूची के क्षेत्र में ग्राम सभाओं को शासन की एक प्रमुख इकाई के रूप में मान्यता प्रदान करने पर ज़ोर दिया गया है ताकि यह (ग्राम सभा) लोगों को उनके संसाधनों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिये सक्षम बना सके।
5वीं अनुसूची के क्षेत्र में ‘पेसा’ को क्रियान्वित करने का उद्देश्य वहाँ के लोगों को शोषण से मुक्ति दिलाने हेतु शासन की स्वायत्ता को बढ़ावा देना है। किंतु दुर्भाग्यवश, पंचायती राज मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बावजूद राज्यों द्वारा ‘पेसा’ का क्रियान्वयन संतोषजनक तरीके से नहीं हुआ है।
इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वनवासी (वन अधिकारों को मान्यता) अधिनियम, 2006 जनजातीय समुदायों के लिये एक महत्त्वपूर्ण अधिनियम था, जिसमें इन समुदायों के विभिन्न अधिकारों को मान्यता प्रदान की गई थी।
अनुसूचित क्षेत्रों से संबंधित राज्यों के राज्यपाल अपनी सरकारों के माध्यम से इस अधिनियम का तेज़ी से क्रियान्वयन करवा सकते थे जिससे इन क्षेत्रों में भूमि से संबंधित विवादों को सुलझाया जा सकता था। किंतु इस अधिनियम का तीव्र एवं प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ जिससे जनजातीय समुदायों में असंतोष और आक्रोश उत्पन्न हुआ।
इसके अतिरिक्त 5वीं अनुसूची के प्रावधानों के अंतर्गत राज्यपालों द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों की स्थिति के बारे में जो वार्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जानी थी, उसे भी कुछ राज्यों ने गंभीरता से नहीं लिया और कुछ राज्यों द्वारा अभी भी यह रिपोर्ट सौंपी जानी बाकी है।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम अनुसूची-5 का सही क्रियान्वयन न होने से वामपंथी-चरमपंथी विचारधारा के लोगों द्वारा उठाए गए लाभ को बताएंगे-
इन परिस्थितियों का लाभ वामपंथी-चरमपंथी विचारधारा के लोग उठा रहे हैं। ऐसे लोग वर्तमान स्थिति का मुख्य कारण मौजूदा सरकार एवं उसकी प्रशासनिक व्यवस्था को मानते हैं। विकल्प के रूप में वह राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रयत्न करते हैं। इसके अलावा, निम्नलिखित अन्य कारक भी वामपंथी-चरमपंथ के विकास में सहायक हैं-
विषय-वस्तु के तीसरे भाग में हम संबंधित समस्याओं के समाधान पर चर्चा करेंगे-
उपर्युक्त उपायों से जनजातीय समुदाय के असंतोष को कम करने में मदद मिलेगी।
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-
सिविक कार्यवाही के ज़रिये सुरक्षा बलों तथा वामपंथ-चरमपंथी विचार से प्रभावित लोगों के बीच बेहतर संवाद कायम करने से उनकी भावनाओं को जीता जा सकता है। साथ ही इन क्षेत्रों से अर्जित आय के अधिकतम भाग को भी वहीं पर खर्च करना उपयुक्त होगा। मनरेगा, सर्वशिक्षा अभियान तथा पुनर्वास नीति का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करना ज़रूरी है और मीडिया योजना के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाना भी इस दिशा में बेहतर कार्य साबित हो सकता है।