निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। (1) अंतःकरण की आवाज़ (2) विवेक का संकट
16 Oct, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नअंतःकरण की आवाज़ : अंतःकरण की आवाज़ से तात्पर्य उस आतंरिक प्रेरणा से है जो हमारे किसी व्यवहार के नैतिक या अनैतिक होने को बताता है। अंतःकरण की आवाज़ पवित्र होती है तथा यह अक्सर नैतिक निर्णय लेने के लिये प्रेरित करती है। चूँकि मनुष्य की अंतरात्मा बाह्य दबावों व परिस्थितियों से निर्देशित नहीं होती, इसलिये यह किसी कृत्य के नैतिक या अनैतिक होने का निर्णय अधिक श्रेष्ठता से कर पाती है। गांधी जी तो अंतरात्मा की आवाज़ को ही सर्वोच्च मानते थे तथा उनके कई निर्णयों का नैतिक आधार अंतरात्मा की आवाज़ ही थी। इसी तरह प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सिग्मंड फ्रायड जिस इड, ईगो, सुपर ईगो की बात करते हैं उसमें सुपर ईगो अर्थात् नैतिक मन अंतरात्मा की आवाज़ ही है। सार रूप में कहें तो भौतिक लाभ-हानि, सांसारिक अर्थों से परे नैतिकता-अनैतिकता की जो आवाज़ मन के अंदर से आती है, वही अंतःकरण की आवाज़ है। उदाहरण के लिये जब कोई चोरी कर रहा होता है तथा उसे कोई देख नहीं रहा होता है तब भी अंतःकरण की आवाज़ उसे बताती है कि वह गलत कर रहा है।
विवेक का संकट : विवेक का संकट से तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है जब हम यह फैसला नहीं कर पाते हैं कि कौन-सा कृत्य सही है और कौन-सा गलत, अर्थात् सही के रूप में किसी एक पक्ष को चुनना संभव नहीं हो पाता। दूसरे शब्दों में कहें तो विवेक का संकट उस स्थिति को कहते हैं जब अंतरात्मा दो परस्पर विरोधी मूल्यों या विकल्पों में से किसी एक के पक्ष में कोई ठोस निर्णय न दे सके। यह उस नैतिक दुविधा को दर्शाता है जब किसी एक केपक्ष में निर्णय लेते समय दूसरे पक्ष के अनैतिक हो जाने का डर हो।