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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नैतिकता के बाध्यकारी मानक सुनिश्चित करना संभव नहीं है क्योंकि ये प्रतिमान राष्ट्रों के निजी हितों के संदर्भ में परिवर्तित होते रहते हैं। हाल ही में यूरोप में ‘रिफ्यूजी समस्या’ के आलोक में इस विषय पर अपने मत को प्रस्तुत करें।

    01 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    यह सर्वविदित है कि प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप अपनी विदेश नीति का निर्माण करता है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में किसी बाध्यकारी मानक पर विभिन्न संप्रभु राष्ट्रों की सहमति प्राप्त करना एक मुश्किल कार्य है। उदाहरणस्वरूप ‘परमाणु अप्रसार संधि’ विश्व में परमाणु अस्त्रों व तकनीक के प्रसार को रोकती है परंतु भारत अपनी सुरक्षा चिंताओं व राष्ट्रीय हितों के कारण इस संधि को स्वीकार नहीं करता।

    हाल के वर्षों में सीरिया, इराक, यमन, अफ्रीका के कई हिस्सों में चल रहे संघर्ष के कारण लाखों लोग अपने घर-बार छोड़कर यूरोपीय राष्ट्रों में बेहतर जीवन की आस में शरण लेना चाहते हैं। परंतु यूरोपीय देश विभिन्न कारणों, यथा- संसाधनों के अभाव, सामाजिक ताने-बाने के बिगड़ने की आशंका, धार्मिकतनाव उभरने की चिंता और अन्य सुरक्षा कारणों का हवाला देकर शरणार्थियों को प्रवेश देने से इनकार कर रहे हैं। कुछ देशों, जैसे- जर्मनी ने अपवादस्वरूप मानवीय आधार पर शरणार्थियों को सीमित संख्या में प्रवेश करने की अनुमति दी है

    ध्यातव्य है कि इन यूरोपीय देशों के नेतृत्व में द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् अपनी रिफ्यूजी समस्या के समाधान हेतु 1951 में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी अधिवेशन संपन्न हुआ था। उसके पश्चात 1967 के प्रोटोकॉल में शरणार्थियों के लिये संशोधन के माध्यम से शरणार्थियों के लिये भौगोलिक और अस्थायी सीमाओं को हटा दिया गया। किंतु आज जब पश्चिम एशिया की समस्या सामने आई तो अपने राष्ट्रहितों को तरजीह देते हुए यूरोपीय देश कन्वेंशन के कानूनों का को मानने से इनकार कर रहे हैं। मेरे मत से यह नीतिगत परिवर्तन राष्ट्रहितों के प्रश्न पर ही हुआ है परंतु दोहरे मापदंडों के चलते उनकी नीति अनैतिक है। 

    परंतु ऐसा भी नहीं है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में कोई भी सर्वसहमति का मूल्य मौजूद नहीं है। आज आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बात हो या जलवायु परिवर्तन से जूझने का मानक हो, हम प्रायः अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एकजुट दिखाई देते हैं जहाँ राष्ट्रहित से ऊपर संपूर्ण मानव जाति की सुरक्षा को आगे रखा जाता है।

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