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प्रश्न :
एक चीफ इंजीनियर के नेतृत्व में एक पुल का निर्माण किया जा रहा है, जो किसी ठेकेदार के द्वारा बनाया जा रहा है। अचानक पुल की रेलिंग गिरने से कुछ लोग मारे जाते हैं। चीफ इंजीनियर को इसकी सूचना मिलती है किन्तु इसी समय आँधी के साथ बारिश की शुरुआत हो जाती है। ऐसी स्थिति में चीफ इंजीनियर को निम्न में से किस तरह के कदम उठाने चाहिये-
06 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
1. घायलों को हॉस्पिटल पहुँचाने के निर्देश देने के साथ बारिश के बावजूद घटनास्थल पर पहुँचकर दुर्घटना के कारणों की जाँच करेंगे।
2. घायलों को हॉस्पिटल पहुँचाने के निर्देश देने के साथ बारिश के रुकने का इंतज़ार करेंगे, तत्पश्चात् घटनास्थल का दौरा करेंगे।
3. घायलों को मुआवज़ा देने की घोषणा के साथ अगले दिन जाने की कोशिश करेंगे।
उपरोक्त सभी विकल्पों का मूल्यांकन करें तथा बताएँ कि आप किस विकल्प का चुनाव करेंगे और क्यों? तर्कों के साथ बताएँ।उत्तर :
प्रथम विकल्प का मूल्यांकन-
गुण- घायलों को हॉस्पिटल पहुँचाने का निर्देश जनता के प्रति जवाबदेहिता को दर्शाता है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता प्राथमिक है, अतः घायलों को बचाना नैतिक कार्य है।
विषम परिस्थितियों के बावज़ूद भी यदि वह वहाँ पहुँच रहा है तो निश्चय ही उसमें संवेदनात्मक भावनाएँ हैं।
दूसरों के समक्ष खुद को प्रस्तुत करना कुशल नेतृत्व का प्राथमिक लक्षण होता है, जो यहाँ उसमें दिखता है।
दोष- चूँकि वर्षा आँधी के साथ हो रही है, अतः इस स्थिति में उनके साथ कुछ अप्रिय होने की संभावना हो सकती है। ऐसी स्थिति में जहाँ एक तरफ प्रक्रिया की कुशल जाँच में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं वहीं दूसरी तरफ अन्य सदस्य ग्रुप लीडर की कमी से हतोत्साहित हो सकते हैं और उनका मनोबल टूट सकता है।
घायलों को हॉस्पिटल पहुँचाने का निर्देश देना नैतिक भी है और जबावदेहिता का सूचक भी। अतः इस विकल्प में कोई दोष नहीं दिखता। लेकिन जहाँ तक वर्षा रुकने के बाद घर से निकलने का है, उसको दो तरीके से देख सकते हैं-- इंतज़ार करना जवाबदेहिता एवं उत्तरदायित्व से मुँह मोड़ने के बराबर है।
- कनिष्ठ सदस्यों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अतः यह नेतृत्व क्षमता की उपेक्षा के करीब दिखता है।
लेकिन दूसरी तरफ यह भी ध्यान रखना चाहिये कि ऐसी विषम परिस्थिति में निकलने से खुद संकट में पड़ सकते हैं जिसकी दीर्घकालीन हानि ग्रुप को उठानी पड़ सकती है।
घायलों को मुआवज़ा देने की घोषणा के साथ अगले दिन जाना, जहाँ तक इस विकल्प के मूल्यांकन का सवाल है, तो मुआवज़े की घोषणा एवं हॉस्पिटल में घायलों की निःशुल्क चिकित्सा की घोषणा प्रशासनिक तत्परता एवं सूझबूझ को दर्शाता है। साथ ही साथ ऐसा करने से संवेदनशील प्रशासन की छवि जनता के मन में बनेगी और कार्य निष्पादन में जनता का साथ मिलेगा, न कि विरोध।
लेकिन अगले दिन घटनास्थल पर पहुँचना प्रशासनिक संवेदनहीनता एवं उदासीनता का द्योतक है। ऐसा करने से एक तो वह अपने ग्रुप सदस्यों का विश्वास खो देंगे, वहीं दूसरी ओर जनता और प्रशासन के बीच भी दूरी बढ़ेगी जो दीर्घकालिक एवं तात्कालिक दोनों ही रूप से प्रशासन के लिये घातक होगा।
निश्चय ही उपरोक्त सभी विकल्पों में कुछ न कुछ खामियाँ विद्यमान हैं। ऐसे में किसी विकल्प को चुनना नैतिक नहीं होगा, फलतः हम विकल्प चुनाव में निम्न चरण का पालन करेंगे-- घायलों को अस्पताल पहुँचाने का निर्देश एवं उनके लिये निःशुल्क चिकित्सा तथा मृतकों के लिये मुआवज़े की घोषणा करेंगे।
- प्रशासन से बात कर एक आपदा प्रबंधन टीम को अतिशीघ्र घटनास्थल पर पहुँचने का निर्देश देंगे ताकि दबे हुए लोगों को जल्द से जल्द निकाला जा सके।
- अंततः जल्द से जल्द घटनास्थल पर पहुँचने की कोशिश करेंगे और घटना की त्वरित जाँच की सार्वजानिक घोषणा करेंगे ताकि दोषियों को जल्द सजा दी जा सके।
उपरोक्त प्रक्रिया का अनुपालन करने से एक तरफ जनता का प्रशासन में विश्वास बनाए रख पाना संभव हो सकेगा तो दूसरी तरफ प्रशासनिक संवेदनशीलता का उदाहरण प्रस्तुत कर सकेंगे जिससे अंततः प्रशासन की वैधता एवं धारणीयता सतत बनी रहेगी जो कि नैतिक समाज के निर्माण के लिये आवश्यक है।
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