एम्मानुएल कांट का मानना है कि विवेकशील मनुष्य को अपने आप में एक साध्य के रूप में देखना चाहिये, न कि किसी अन्य के साधन के रूप में। टिप्पणी कीजिये।
18 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न18 वीं सदी के प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक कांट कका यह विचार आज भी अत्यंत प्रासंगिकहै- “सभी मनुष्य ‘साध्य’ हैं, ‘साधन’ नहीं।” सामान्य शब्दों में इसका अर्थ है कि हमें अपने फायदे के लिये किसी व्यक्ति का इस्तेमाल या शोषण नहीं करना चाहिये; किसी व्यक्ति पर अपने निर्णय थोपने के बजाय उसे स्वयं अपने फैसले करने का अवसर देना चाहिये। यदि कोई व्यक्ति स्वयं में साध्य है तो इससे आशय है कि उसका आंतरिक गुण किसी भी अन्य कारक पर निर्भर नहीं करता है। यह इस तथ्य पर निर्भर नहीं करता है कि कोई व्यक्ति प्रसन्नचित जीवन व्यतीत कर रहा है या दूसरे लोगों के जीवन को बेहतर बनाता है। हम मूर्त रूप में उपस्थित हैं, इसलिये हम गुणसंपन्न हैं।
यद्यपि इसमें से अधिकांश लोग इससे सहमत हैं, तथापि इसे स्वीकार करने से झिझकते हैं। हमारी सोच हमें किसी दूसरे व्यक्ति को अपने हित में इस्तेमाल की इज़ाज़त नहीं देती, क्योंकि हमें अपने साध्य के लिये किसी अन्य व्यक्ति को साधन के तौर पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिये। यह विचार हमारे लिये भी लागू होता है। हमें अपने साध्य के लिये स्वयं को साधन के रूप में प्रयुक्त नहीं होने देना चाहिये। वस्तुतः हमें अपने अन्तर्निहित गुणों का सम्मान करना चाहिए।
इसे इच्छा मृत्यु, आत्महत्या तथा हमारा अहित करने वाले दूसरों के व्यवहार के विरुद्ध एक तर्क के रूप में उपयोग किया जा सकता है।