- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
क्या आप मानते हैं कि महज उच्च नैतिक मानक स्थापित करने से एक नैतिक समाज का निर्माण संभव है? उचित उदाहरण के द्वारा अपने उत्तर की पुष्टि करें।
09 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- नैतिक मानकों को स्पष्ट करें।
- इसके महत्त्व और सीमाओं को सचित उदाहरण के माध्यम से समझाएँ
- निष्कर्ष लिखें।
नैतिक मानक का तात्पर्य उन मानदंडों से है जिनके आधार पर व्यक्ति के व्यवहार का मूल्यांकन किया जाता है। ये बताते हैं कि व्यक्ति का व्यवहार नैतिकता की दृष्टि से उचित है अथवा अनुचित।
सभ्य समाजों में सामान्यतः नैतिकता के उच्च मानक स्थापित किए जाते हैं, ताकि लोग उन मानकों पर चलकर समाज के लक्ष्यों की पूर्ति में सहायक हो सकें। नैतिकता के यह मानक व्यक्ति को स्वयं की तुलना में औरों के बारे में सोचने के लिये प्रेरित करते हैं जिससे समाज में विश्वास पर आधारित एक सौहार्द्रपूर्ण वातावरण का निर्माण होता है। उदाहरण के लिये सत्यवादिता को नैतिकता का एक उच्च मानक माना जाता है। यदि समाज के सभी लोग एक दूसरे से सत्य बोले तो समाज में अविश्वास, भ्रष्टाचार तथा पाखंड जैसी समस्याओं का समाधान हो जाएगा और समाज का विकास अपेक्षाकृत तेजी से होगा। स्पष्ट है कि उच्च मानक नैतिक समाज के निर्माण में सहायक हैं।
किंतु केवल उच्च नैतिक मानकों को स्थापित करने से ही एक नैतिक समाज का निर्माण संभव नहीं क्योंकि यह आवश्यक नहीं कि लोग उन नैतिक मानकों का पालन ही करें। उदाहरण के लिये सत्यवादिता को नैतिक मानक के रूप में स्थापित किए जाने के बाद भी समाज के लोग अपने स्वार्थों के लिये झूठ बोलते हैं। उसी प्रकार दहेज प्रथा तथा भ्रष्टाचार जैसी समस्याएँ नैतिक रुप से अनुचित होने पर भी समाज में प्रचलित हैं। यह दर्शाता है कि महज नैतिक मानकों का निर्माण नैतिक समाज के निर्माण की गारंटी नहीं है।
नैतिक समाज के लिये यह आवश्यक है कि व्यक्ति के सुपर-ईगो को इतना मजबूत किया जाए कि वह नैतिक मानकों का पालन कर सके। इसके लिये एक समाज में सभी सदस्यों द्वारा समन्वित नीति को बनाए जाने की आवश्यकता है ताकि व्यक्तियों में नैतिक अभिवृति का विकास हो सके।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print