डॉ. पद्मिनी मेहरा, नागपुर नगर निगम में म्युनिसिपल कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। आलोक झपाटे वहाँ एक कनिष्ठ अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। डॉ. पद्मिनी को अपने मेल एवं निगम की वेबसाइट पर आलोक झपाटे के खिलाफ एक शिकायत प्राप्त होती है। शिकायत के अनुसार, पिछले दिनों मिस्टर आलोक अपनी शादी की सालगिरह मनाने हेतु शहर के मशहूर रेस्टोरेंट ‘वंशी विहार’ में पत्नी एवं बच्चों के साथ गए थे। लेकिन उस समय वहाँ एक भी टेबल खाली नहीं थी। शिकायत के अनुसार, वह मैनेजर को धमकाते हुए तत्काल एक टेबल उपलब्ध कराने के लिये कहते हैं। मैनेजर उनसे थोड़ा इंतज़ार करने के लिये कहता है लेकिन वह तत्काल कोई टेबल उपलब्ध नहीं करा पाया। इस पर मिस्टर आलोक उस पर क्रोधित हो जाते हैं तथा सभी ग्राहकों के सामने उससे एवं रेस्टोरेंट के अन्य कर्मचारियों से काफी अशिष्टता से पेश आते हैं। वह अपना परिचय एवं अपने संपर्क का हवाला देते हुए मैनेजर को रेस्टोरेंट का लाइसेंस रद्द कराने की धमकी देते हैं। शिकायतकर्त्ता के अनुसार, वह वैध तरीके से अपना व्यवसाय चलाता है तथा किसी लोक सेवक को उसे अनैतिक रूप से धमकाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। अतः जनता के हित में उस अधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। आपके विचार से कमिश्नर पद्मिनी मेहरा को उस आधिकारी के विरुद्ध निम्नांकित में से कौन-सी कार्यवाई करना सर्वाधिक उचित होगा? (a) वे मिस्टर आलोक को तत्काल बर्खास्त कर दें तथा उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक जाँच का आदेश दें। (b) वे निगम के किसी अधिकारी को शिकायत की वैधता की जाँच करने को कहें तथा शिकायत के सही पाए जाने पर दोषी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई शुरू करें। (c) वे शिकायतकर्त्ता से व्यक्तिगत रूप से मिलकर तथ्यों की सत्यता का पता करें।
25 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न(a) निःसंदेह, एक लोक सेवक के रूप में मिस्टर आलोक का व्यवहार निंदनीय है। उन्हें समझना चाहिये था कि रेस्टोरेंट मैनेजर टेबल पर बैठे ग्राहकों को उठाकर उन्हें टेबल उपलब्ध नहीं करा सकता। उन्हें मैनेजर के पक्ष को समझकर गंभीरता का परिचय देना चाहिये था। साथ ही मिस्टर आलोक को अपने पद एवं संपर्कों के आधार पर मैनेजर को धमकाने एवं अशिष्ट व्यवहार करने का कोई अधिकार नहीं है। यह लोक सेवा की नैतिकता के विरुद्ध है। वह दुर्भावनावश किसी के लाइसेंस को रद्द कराने का न तो अधिकार रखते हैं, न ही ऐसा आचरण नैतिक रूप से उचित है।
लेकिन निगम का प्रशासनिक प्रमुख होने के कारण डॉ. पद्मिनी मेहरा शिकायत की अनदेखी नहीं कर सकती हैं। उन्हें कोई कार्रवाई शुरू करने से पहले वैध तथ्यों को एकत्र कर लेना चाहिये। लोक जीवन में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सस्ती लोकप्रियता पाने के लिये तथ्यों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाए। साथ ही रेस्टोरेंट के किसी कर्मचारी ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज नहीं की है। यह नैतिक दुर्व्यवहार या लोक सेवा की गरिमा के विरुद्ध आचरण का मामला है, न कि कोई क्रिमिनल मामला। अतः कमिश्नर पद्मिनी को बर्खास्तगी जैसे कठोर कदम नहीं उठाना चाहिये।
(b) यद्यपि वह किसी अधिकारी को तथ्यों की वैधता की जाँच के लिये कह सकती हैं। वह मिस्टर आलोक के ऑफिस रिकॉर्ड की पड़ताल कर यह पता कर सकती हैं कि मिस्टर आलोक क्रोधी प्रवृत्ति और धैर्यहीन स्वभाव के व्यक्ति हैं या नहीं। यदि वह ऐसे स्वभाव के व्यक्ति नहीं हैं तथा उनके विरुद्ध शिकायत भी सही है तो कमिश्नर द्वारा उन्हें भविष्य में ऐसा आचरण न करने की औपचारिक चेतावनी दी जा सकती है। चूँकि यह नैतिक आचरण एवं मिस्टर आलोक के निजी जीवन का मामला है। अतः कमिश्नर को अनावश्यक हस्तक्षेप न कर उचित प्रक्रिया द्वारा इसका समाधान करना चाहिये।
(c) चूँकि डॉ. पद्मिनी मेहरा निगम की प्रशासनिक प्रमुख हैं। अतः उनका व्यक्तिगत रूप से शिकायतकर्त्ता से मिलना उचित नहीं है। वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से शिकायत की वैधता की जाँच करा सकती हैं। साथ ही मिस्टर आलोक का नैतिक दुराचरण, उनके निजी जीवन से संबद्ध है तथा कमिश्नर को तत्काल किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचना चाहिये।