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प्रश्न :
आत्महत्या काफी हद तक एक निवारण योग्य सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जो सभी हिंसक मौतों के लगभग आधे का कारण बनता है। इस संदर्भ में भारत में आत्महत्या की प्रवृत्ति पर चर्चा कीजिये।
27 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति 40 सेकेंड में आत्महत्या से एक जान जाती है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार भारत में प्रत्येक 5 मिनट में एक आत्महत्या की कोशिश की जाती है। हमारे समाज का सबसे उत्पादक आयु वर्ग (18 वर्ष से 45 वर्ष के मध्य) में आत्महत्या की प्रवृत्ति सर्वाधिक है। अतः इन असहाय लोगों को इस प्रवृत्ति से रोकने हेतु तत्काल इनकी सहायता एवं वैश्विक प्रयास को सघन करने की ज़रूरत है। आत्महत्या से परिवार एवं मित्रों को भी गंभीर क्षति पहुँचती है, जो इससे भावनात्मक, आर्थिक व सामाजिक रूप से जुड़े होते हैं।
भारत में स्वास्थ्य एवं पारिवारिक समस्याएँ, आत्महत्याओं का प्रमुख कारण रहा है। इसके साथ ही गरीबी, बेरोज़गारी, प्रेम-प्रसंग तथा कर्ज़ इसके सहायक कारणों के रूप में शामिल हैं। आत्महत्या करने वालों में सर्वाधिक संख्या गृहणियों की है, जिनकी चिंताओं को, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर कम किया जा सकता है। यह आवश्यक है कि ऐसी पहल की जाए जो विभिन्न जनानांकी समूहों को लक्षित हो तथा जो ऋणग्रस्तता पर ध्यान केंद्रित करने तक ही सीमित न हो।
भारत में किसानों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति लोक नीति के लिये गंभीर चिंता का विषय है। किसान आत्महत्या के प्रति सरकार का रवैया ज़्यादातर सरलीकृत होता है तथा कभी-कभी ठोस पहलें देखी जाती हैं। सरकार इसके लिये कोई प्रभावी दीर्घकालिक नीति लाने के स्थान पर विशेष आर्थिक पैकेजों की घोषणा करती है। विभिन्न अध्ययनों से यह जाहिर है कि आत्महत्या के व्यवहार के लिये मुख्यतः मानसिक कमज़ोरी उत्तरदायी होती है।
इसके अलावा किशोरों में भी आत्महत्या की प्रवृत्ति देखी जा रही है, जो सामान्य मानसिक दबाव के स्थान पर विशेष परिस्थितियों पर आधारित होती है। जब कोई किशोर ऐसी समस्या से घिरा होता है जो उसके नियंत्रण में नहीं होती, तो वह विशेष परेशानी या दबाव महसूस करता है। इन परिस्थितियों में शामिल हैं- तलाक, सौतेली पारिवारिक संरचना, शारीरिक या लैंगिक हिंसा, भावनात्मक उपेक्षा, मादक द्रव्यों का सेवन आदि। बहुत सारी आत्महत्याओं का कारण अवसाद होता है। अवसाद एक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार है। यह दिमाग में रासायनिक असंतुलन उत्पन्न करता है, जो निराशा, उदासी, जीवन के प्रति सामान्य उदासीनता को जन्म देता है।
निष्कर्षतः आत्महत्याओं पर रोक लगाने हेतु एक संरचनात्मक पहल की ज़रूरत है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या को भी लक्षित करे।
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