एक व्यक्ति अपने कृत्यों में नैतिकता की जाँच किस आधार पर कर सकता है?
29 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नसमाज में नैतिकता के उच्च प्रतिमान को बनाए रखने के लिये सभी व्यक्तियों द्वारा अपने कृत्यों में नैतिकता की जाँच आवश्यक होती है। ऐसे में कुछ मुख्य आधार स्रोत की आवश्यकता होती है जो व्यक्ति के कृत्यों के नैतिक प्रतिमान को परखने में सहायक हो। ऐसे प्रमुख स्रोतों में हम निम्नलिखित की गणना कर सकते हैं-
संविधान व कानूनः संविधान उन आधारभूत दिशा-निर्देशों का संकलन होता है जिसके आधार पर कोई राष्ट्र प्रशासित होता है। साथ ही इसमें उन लक्ष्यों और उसे प्राप्त करने के मार्ग की भी चर्चा होती है, जिसे राष्ट्र को प्राप्त करना होता है। इसी प्रकार कानूनों का भी नैतिक अर्थ होता है। यह लोगों को किसी कार्य को करने या उससे स्वयं को अलग रखने के लिये प्रेरित करता है। चूँकि, कानून व संविधान सार्वजनिक हितों को निजी हितों पर वरीयता देते हैं इसलिये ये व्यक्ति के कृत्य को परखने के लिये एक वृहद् आधार प्रस्तुत करते हैं।
विवेकः विवेक व्यक्ति के सही और गलत के बीच अंतर स्पष्ट करने वाली सर्वप्रमुख नैतिक भावना है। जहाँ कानून कार्यों के विषय में सामान्य नियम घोषित करते हैं, वहीं विवेक विशिष्ट कार्यवाही के लिये व्यावहारिक नियम निर्धारित करता है। विवेक कानूनों को विशिष्ट कार्यों के प्रति लागू करता है। इसलिये यह कानून की तुलना में अधिक व्यापक होता है।
धर्मः सभी धर्मों में नैतिकता के प्रति एक उच्च मानक स्थापित किया गया है। धर्म व्यक्ति के कृत्यों को परखने का एक महत्त्वपूर्ण ज़रिया है।
अंतरात्माः व्यक्ति की अंतरात्मा उसके कृत्यों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अंतरात्मा की आवाज़ प्रायः नैतिक कृत्यों के लिये दिशा-निर्देशों का कार्य करती है।
सामान्यतः संविधान व कानून लोगों के कार्यों को जाँचने-परखने का महत्त्वपूर्ण माध्यम होता है, परंतु कई बार कानूनी प्रावधान अपर्याप्त होते हैं और कुछ विशेष परिस्थितियों में व्यक्ति का विवेक व उसके अंतरात्मा की आवाज़ कार्यों की नैतिकता निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।