उत्कृष्टता वह कला है जो प्रशिक्षण और आदत से आती है। हम इसलिये सही कार्य नहीं करते कि हमारे अन्दर अच्छाई या उत्कृष्टता है, बल्कि वह हमारे अन्दर इसलिये है क्योंकि हमने सही कार्य किया है। हम वह हैं जो हम बार-बार करते हैं, इसलिये उत्कृष्टता कोई कार्य नहीं बल्कि एक आदत है। आप इस कथन से क्या समझते हैं?
31 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नदिये गए कथन व्यक्ति को उत्कृष्ट बनने के रास्ते के बारे में हैं। अरस्तू के अनुसार, सद्गुण सुखी जीवन के लिये एक माध्यम है। सद्गुण में नैतिक सद्गुण और बौद्धिक सद्गुण जैसे दो प्रकार होते हैं। बौद्धिक सद्गुण की प्राप्ति के लिये व्यक्ति को सीखना-पढ़ना चाहिये। बौद्धिक सद्गुण व्यक्ति को सही-गलत का परिचय नहीं दिलाता है लेकिन नैतिक सद्गुण व्यक्ति को सही काम करने के लिये प्रोत्साहित करता है। नैतिक सद्गुण प्राप्त करने के लिये सतत् अभ्यास ही एकमात्र तरीका है। इस नैतिक सद्गुण की प्राप्ति के लिये व्यक्ति को इस तरह लगातार अभ्यास करना चाहिये कि वह व्यक्ति की आदत बन जाए। अरस्तू के लिये नैतिक सद्गुण ही वास्तविक सद्गुण है और इन्हें पाने का एकमात्र तरीका सतत् अभ्यास है।
हम जो आज बने हैं वह लंबी अवधि में लगातार अभ्यास का फल है। एक बुरे व्यवहार से व्यक्ति बुरा नहीं बनता है लेकिन लगातार बुरे व्यवहार का अभ्यास व्यक्ति को बुरा बना देता है। एक बुरा व्यक्ति प्रशिक्षण के माध्यम से एक अच्छा व्यक्ति बन सकता है। उदाहरण के लिये जेल में कैदियों को सुधरने के लिये लगातार उनसे नैतिक रूप से अच्छे कार्य करवाने पर बल दिया जाता है। नैतिक सद्गुण युक्त व्यक्ति बनने के लिये अच्छे व्यवहार का लगातार अभ्यास करना और उसे अपनी आदत बनाने की आवश्यकता होती है।