आत्महत्या से संबंधित नैतिक मुद्दों पर चर्चा करें। क्या ऐसे कदम को किसी भी दशा में नैतिक रूप से उचित ठहराया जा सकता है?
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- आत्महत्या से संबंधित नैतिक मुद्दों पर प्रकाश डालें।
- विभिन्न परिस्थितियों के आलोक में आत्महत्या की नैतिकता पर विचार करें।
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आत्महत्या एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति स्वेच्छा से स्वयं मृत्यु का वरण करता है। अवसाद, जीवन के प्रति नकारात्मक भाव, परिजनों से अलगाव, भौतिक जीवन में असफलता, तथा जीवन से तटस्थता जैसे भाव आत्महत्या के प्रमुख कारण हैं।
नैतिकता की दृष्टि से देखा जाए तो सामान्य परिस्थिति में आत्महत्या अनैतिक नजर आती है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा उसके अस्तित्व के निर्माण में उसके अलावा उसके माता-पिता, उसके परिवार के अन्य सदस्य, उसके मित्र तथा संपूर्ण समाज का योगदान होता है। इसके अलावा एक व्यक्ति के रूप में अन्य लोग उससे भावनात्मक रूप से भी जुड़े होते हैं। ऐसे में आत्महत्या की घटना से उसके कारण से जुड़े सभी व्यक्ति नकारात्मक रूप से प्रभावित होंगे। यह नैतिकता की भारत पारस्परिकता की अवधारणा के विरुद्ध है। इसके अलावा गांधी की नैतिकता की अवधारणा के अनुसार ऐसा हर कार्य जो आप दूसरों से स्वयं के प्रति अपेक्षा नहीं करते उसे स्वयं भी दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए। एक आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के निकटतम संबंधी यदि आत्महत्या कर लें तो उस पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और सामान्य रूप में वह स्वयं नहीं चाहेगा कि उसके निकटतम संबंधी आत्महत्या करें। ऐसे में यह गांधीवादी नैतिकता के विरुद्ध है। इसके अलावा कांट के निरपेक्ष आदेश के सिद्धांत के अनुसार भी आत्महत्या की अवधारणा नैतिकता के विरुद्ध है ।यदि ईश्वर के आधार पर नैतिकता को देखा जाए तो यह जीवन हमें ईश्वर की इच्छा से प्राप्त हुआ है ऐसे में इसे नष्ट करना अनैतिक है। इसके अलावा हर व्यक्ति अपने आप में एक संसाधन होता है ऐसे में उपयोगितावादी दृष्टिकोण से भी आत्महत्या नैतिकता के विरुद्ध है।
ऐसे में एक प्रश्न यह उठता है कि यदि व्यक्ति का जीवन अत्यंत दुखद है और वर्तमान समय में इस दु:ख का कोई समाधान संभव नहीं तो केवल समाज अथवा अपने निकटतम व्यक्तियों की इच्छा के लिये आत्महत्या न करना क्या उस व्यक्ति के हित कि दृष्टि से अनैतिक नहीं है? उदाहरण के लिये अत्यंत कष्टदायक असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों के संबंध में इस स्थिति को देखा जा सकता है।
इसके अलावा विरल परिस्थितियों में कई बार व्यक्ति अपने परिवार, समाज तथा देश के हित के लिये स्वयं मृत्यु का वरण करता है। इसे अनैतिक नहीं माना जाना चाहिए किन्तु व्यापकता में देखा जाये तो यह आत्महत्या विवशता पर आधारित होती है। अतः इसे आत्महत्या का निरपेक्ष प्रयास नहीं माना जाना चाहिए।
वास्तव में आत्महत्या से संबंधित नैतिकता कि अवधारणा अपने आप में आत्मनिष्ठ है जो व्यक्ति, परिवार, समाज और परिस्थितियों पर निर्भर करती है। कई बार आत्महत्या कि घटना के लिये व्यक्ति के तुलना में समाज और परिस्थितियां अधिक दोषी होती है। आत्महत्या जैसी स्थिति से बचने के लिये इसके नैतिक आधार पर विचार करने के साथ-साथ इसका समग्र मूल्यांकन अधिक आवश्यक है।