श्रीवत्स ने हाल ही में प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की जिसमें वो शामिल होने के लिये उत्सुक था। लेकिन जल्द ही यह समझने लगा कि चीज़ें उतनी बेहतरीन नहीं हैं जैसी कि उसने कल्पना की थी। उसने पाया कि उसके विभाग के कर्मचारी, विशेषकर निचले स्तर के, बेहद उदासीन और लोगों की आवश्यकताओं के प्रति बेपरवाह हैं। वे स्वयं भी कई विभागीय और प्रकार्यात्मक समस्याओं, जैसे- असमय कार्य, खराब जीवनगत और कार्यगत परिस्थितियों इत्यादि से जूझ रहे हैं। प्रशासन ने समिति गठित कर और समीक्षा रिपोर्ट्स को व्यवस्थित कर उनकी समस्याओं को सामने रखने का प्रयत्न किया, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई प्रभावपूर्ण परिवर्तन न आ सका। आपके विचार से कार्यगत और जीवनगत परिस्थितियों में सुधार, साथ ही कार्मिकों तथा अन्य क्षेत्र अधिकारियों के मनोबल और अभिप्रेरणा को उच्च स्तर तक पहुँचाने के लिये कौन-से अन्य उपाय आवश्यक हैं ताकि वे जटिल विषयों को व्यावसायिक क्षमता लेकिन मानवीय व्यवहार के साथ हल करने में सक्षम हो सकें?
08 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्ननिचले स्तर के कर्मचारियों की ड्यूटी प्रायः मेकेनिकल किस्म की होती है, जिसमें किसी विवेक अथवा बुद्धि के प्रयोग की ज़रूरत नहीं होती है। हालाँकि, आजकल इन कर्मचारियों को लोगों के साथ अन्योन्यक्रिया करनी होती है तथा लोग व नागरिक उनसे सम्मान बरतने और अपनी समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता की उम्मीद करते हैं। ऐसे कई अवसर आते हैं जब इन कर्मचारियों को अपने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुदेशों की प्रतीक्षा किए बगैर निर्णय लेना पड़ सकता है। अतः निचले स्तर के कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने व असंतोषजनक रहन-सहन व अन्य समस्याओं को दूर करने हेतु निम्न कदम उठाए जा सकते हैं-
1.स्वच्छता कारक (Hygiene Factors): लोक सेवक में सुधार, विशेष रूप से निचले स्तर के कार्यकर्त्ताओं के मनोबल में सुधार के साथ निकट रूप से जुड़ा है, जो बदले में उनके कामकाजी माहौल और सेवा शर्तों पर निर्भर करता है।
इनके मनोबल को सुधारने, नैराश्य को खत्म करने और उनकी व्यावसायिकता में वृद्धि करने के लिये उनकी भर्ती, प्रशिक्षण, परिलब्धियों, कामकाजी और रहन-सहन की स्थितियों में आमूल रूप से सुधार करना आवश्यक है।
इसके लिये प्रवेश स्तर पदों पर अर्हताओं में वृद्धि और वर्तमान की अपेक्षा उच्च स्तर पर भर्ती करने और अर्दली जैसी पद्धति को समाप्त किया जाना चाहिये। बेहतर कामकाजी स्थितियों, सुधरी पदोन्नति संभवनाओं और रोज़गार समृद्धि को साथ मिलाकर इन सभी से मनोबल और निष्पादन में सुधार करने की दिशा में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा, कल्याण उपायों को प्राथमिक प्रदान करनी होगी जबकि बच्चों के लिये बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, आवास आदि जिससे उनकी कामकाजी और रहन-सहन स्थितियों में कुल मिलाकर सुधार हो सके।
साथ ही, सशस्त्र सेनाओं की पद्धति पर पर्याप्त छुट्टी, काम के नियत घंटे जैसे उपायों से इन कर्मचारियों की कठिन स्थितियों से उत्पन्न शारीरिक व मानसिक थकान को कम किया जा सकता है। कर्मचारी-आबादी अनुपात में सुधार कर मानव शक्ति प्रबंधन की दिशा में कार्य करना आवश्यक है ताकि कर्मचारियों को अधिकार प्रेरित, कार्यकुशल व कारगर बनाया जा सके।
2. अधिकारियों को अपने अधीनस्थों के साथ सम्मान व शिष्टाचार से पेश आना चाहिये। इससे अधीनस्थों में स्व-अनुशासन की भावना का विकास होता है।
3. अधिकारियों को अपने अधीनस्थों पर विश्वास करना चाहिये। इससे समन्वय तंत्र विकसित होता है तथा कार्यकुशलता बेहतर होती है।
4. निचले स्तर के (कटिंग एज) कर्मचारियों का कानूनी सशक्तीकरण महत्त्वपूर्ण है ताकि वे जनता की समस्या को हल करने में स्वनिर्णय ले सकें तथा इसके लिये उन्हें जवाबदेह ठहराया जा सके।
5. अच्छा कार्य करने वाले कर्मचारियों के ‘कार्यों को मान्यता प्रदान’ करनी चाहिये। यह अन्य कर्मचारियों को कार्यकुशलता हेतु प्रेरित करेगा।
6. क्षेत्रीय समस्याओं को समझने हेतु आवश्यक विश्लेषणपरक दक्षता व न्याय-निर्णयन क्षमताओं को बढ़ावा देने हेतु समय-समय पर प्रशिक्षण होना चाहिये।
7. इन उपायों के अतिरिक्त, छवि पुनर्निर्माण, आधुनिकीकरण व प्रौद्योगिकी के विकास से इन ‘कटिंग एज’ कर्मचारियों में आत्मविश्वास को बढ़ाकर, इन्हें नागरिक केन्द्रित सेवा हेतु प्रेरित किया जा सकता है।
इन सुधारों के ज़रिये श्रीवित्स निचले स्तर (कटिंग एज) कर्मचारियों में पेशेवर दक्षता व मानवीय चेहरे के साथ नागरिकों की जटिल समस्याओं से निपटने में सक्षम बना सकता है।