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प्रश्न :
ज्ञान के बिना ईमानदारी कमजोर और व्यर्थ है, परंतु ईमानदारी के बिना ज्ञान खतरनाक और भयानक होता है।" सोदाहरण स्पष्ट करें।
15 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- ज्ञान तथा ईमानदारी को परिभाषित करें।
- बताएँ कि किस प्रकार ज्ञान के बिना ईमानदारी कमजोर है तथा ईमानदारी के बिना ज्ञान खतरनाक और भयानक है।
ज्ञान का तात्पर्य किसी विषय से संबंधित सैद्धांतिक अथवा व्यवहारिक जानकारी से है। यह बताता है कि विभिन्न परिस्थितियों में कार्यों का निष्पादन किस प्रकार करना है। जबकि ईमानदारी एक नैतिक अवधारणा है। समान रूप में इसका तात्पर्य सच बोलने से किंतु विस्तृत रूप में ईमानदारी मन वचन तथा कर्म से प्रेम, अहिंसा, अखंडता, विश्वास जैसे गुणों के पालन पर बल देती है। यह व्यक्ति को भरोसेमंद वफादार तथा निष्पक्ष बनाता है।
ज्ञान के बिना ईमानदारी कमजोर है क्योंकि बिना उचित ज्ञान के व्यक्ति सूचनाओं तथा तर्क के अभाव में चाहकर भी कार्य का निष्पादन नहीं कर पाता। उदाहरण के लिये यदि किसी शिक्षक में ज्ञान का अभाव हो तो अपनी तरफ से ईमानदार होकर भी छात्रों को उचित ढंग से नहीं पढ़ा पाएगा। उसी प्रकार ज्ञान के अभाव में डॉक्टर, इंजीनियर तथा अन्य व्यवसायी अपने-अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से नहीं कर पाएँगे।
किंतु ईमानदारी के अभाव में यह ज्ञान खतरनाक हो जाता है। वस्तुतः ईमानदारी एक ऐसा गुण है जो इस ज्ञान के उचित प्रयोग को सुनिश्चित करती है। उदाहरण के लिये ज्ञान से युक्त एक अधिकारी ईमानदारी के अभाव में भ्रष्ट होकर संपूर्ण समाज का नुकसान कर सकता है। इसके अलावा ईमानदारी से रहित एक ज्ञानी व्यक्ति अपने ज्ञान का प्रयोग समाज के नुकसान के लिये भी कर सकता है। उदाहरण के लिये संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु के माध्यम से इसे देखा जा सकता है। अन्य शिक्षित अपराधियों के लिये भी इसे देखा जा सकता है।
वस्तुतः ज्ञान का संबंध व्यक्ति की क्षमता से है। जबकि ईमानदारी का संबंध उचित ढंग से कार्य करने की आंतरिक प्रेरणा से है। कार्य की प्रभाविता के लिये ज्ञान तथा ईमानदारी इन दोनों का समन्वय आवश्यक है।
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