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प्रश्न :
वैश्वीकरण के इस युग में कौन-सी नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न हुई हैं?
28 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
‘नैतिक दुविधा’ ऐसी परिस्थिति होती है जिसमें निर्णयन में दो या दो से अधिक नैतिक सिद्धांतों में टकराव होता है। इन परिस्थितियों में निर्णयकर्त्ता अपने आपको दुविधा में पाता है क्योंकि उसे दो नैतिक मानदंडों में से किसी एक को चुनना होता है, जबकि दोनों बराबर की स्थिति के होते हैं तथा किसी भी एक को चुन लेने से पूर्ण संतुष्टि मिलना संभव नहीं होता है।
वैश्वीकरण के कारण उत्पन्न नैतिक दुविधा
वैश्वीकरण की प्रक्रिया गरीबी न्यूनीकरण में तीव्रता और उच्चतर विकास दर के रूप में लाभ के साथ-साथ बढ़ती असमानता तथा संसाधन कुप्रबंधन के रूप में हानि दोनों से संबंधित है। वैश्वीकरण ने न सिर्फ संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को बल्कि राजनीति, समाज और संस्कृति को भी प्रभावित किया है।
- वैश्वीकरण के इस युग में राज्य की भूमिका बदल गई है। आर्थिक उदारीकरण ने जहाँ एक ओर राज्य की भूमिका को कम किया है वहीं, दूसरी ओर निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाया है। निजी उद्यमों के लाभ को अधिक-से-अधिक बढ़ाने का मूल उद्देश्य हमेशा व्यापक सामाजिक सरोकारों के साथ मेल नहीं खाता।
- वैश्वीकरण ने समाज के एक वर्ग को जो कि वैश्वीकरण द्वारा प्रदत्त आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हो पाया, हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया है। यहाँ नैतिक दुविधा एक ही समय में कानून के शासन के अनुपालन के साथ लोगों की मदद में समानुभूति और संवेदना प्रकट करने की आवश्यकता को लेकर है।
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