(a) सहिष्णुता (b) निष्पक्षता (c) वस्तुनिष्ठता (d) अध्यवसाय उपरोक्त शब्दावलियों को संक्षिप्त रूप में परिभाषित करते हुए सिविल सेवकों के लिये इसके महत्त्व पर टिप्पणी करें।
07 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न(a) सहिष्णुता का शाब्दिक अर्थ सहन करना है। इसका अंग्रेजी समानार्थ (Tolerance) भी सहन करने के अर्थ में प्रयुक्त होता है। इस दृष्टि से सहिष्णुता का अर्थ व्यक्ति की आदतों, विचारों, धर्म, राष्ट्रीयता आदि से यदि कोई दूसरा व्यक्ति भिन्नता या विरोध रखता है तो उसके प्रति भी वस्तुनिष्ठ, न्यायोचित तथा सम्मानपूर्ण अभिवृत्ति बनाए रखना व आक्रामकता से बचना है। सिविल सेवकों को विभिन्न विचारधारा, धर्म, जाति के लोगों के साथ सामंजस्य बनाकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखकर कार्य करना होता है। इस कारण सहिष्णुता सिविल सेवकों हेतु एक अनिवार्य गुण है।
(b) निष्पक्षताः निष्पक्षता से तात्पर्य एक ऐसा मूल्य जो बिना किसी पूर्वाग्रह के, वस्तुनिष्ठ आधार पर तार्किक रूप से चलने के लिये प्रेरित करे तथा किसी को मनमाने ढंग से लाभ पहुँचाने पर रोक लगाए अर्थात् यह ‘प्राकृतिक न्याय’ को संदर्भित करता है। एक सिविल सेवक हेतु किसी क्षेत्र के विकास के लिये सभी संबद्ध हित समूहों, यथा- सिविल सोसायटी, एनजीओ, उद्योगपति इत्यादि से अपने प्राधिकार के अंतर्गत संपर्क स्थापित करना किंतु किसी के पक्ष में व्यक्तिगत झुकाव न रखना आवश्यक है।
(c) वस्तुनिष्ठता: वस्तुनिष्ठता शब्द का प्रयोग दर्शन, विधि तथा नीतिशास्त्र जैसे विषयों में विशिष्ट अर्थों में होता है। इसका सामान्य अर्थ है कि व्यक्ति को कोई निर्णय करते समय उन सभी आधारों से मुक्त होना चाहिये जो उसकी व्यक्तिगत चेतना में शामिल हैं, जैसे- उसकी विचारधारा, कल्पनाएँ, दृष्टिकोण, पूर्वाग्रह, रूढ़ धारणाएँ, मान्यताएँ इत्यादि। यदि कोई सिविल सेवक इन आधारों से मुक्त होकर निर्णय करेगा तथा वह अपने निर्णय के मूल में केवल उन आधारों को रखेगा जो तथ्यात्मक एवं तार्किक हैं और जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति मानने को बाध्य है तो उसका निर्णय वस्तुनिष्ठता होगा। किसी भी लोक सेवक को सार्वजनिक हित के फैसले लेते वक्त वस्तुनिष्ठ होना चाहिये।
(d) अध्यवसायः अध्यवसाय का अर्थ है निरंतर उद्यमशील बने रहना अर्थात् किसी दूरगामी तथा कठिन उद्देश्य की प्राप्ति होने तक धैर्य और आंतरिक प्रेरणा बनाए रखना। बीच-बीच में आने वाली चुनौतियों व बाधाओं से सकारात्मक तथा आशावादी मानसिकता से निपटना। उद्देश्य की स्पष्टता और उसकी महानता में गहरा विश्वास अध्यवसाय बढ़ाने के कुछ सामान्य उपाय हैं। एक लोक सेवक हेतु अध्यवसायी होना आवश्यक है, क्योंकि इससे वह औरों के लिये प्रेरणा बनेगा और विभाग को भी लाभ पहुँचाएगा।