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प्रश्न :
‘स्वच्छ भारत अभियान’ व्यापक प्रचार-प्रसार के वावजूद लोगों को उनके घर के बाहर साफ-सफाई के प्रति उनका दृष्टिकोण बदलने और उन्हें समझाने में असफल हो रहा है। आप इस तरह के दृष्टिकोण को बदलने के लिये क्या करेंगे?
09 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा : - लोगों को उनके घर के बाहर साफ-सफाई के प्रति दृष्टिकोण को बदलने में इस अभियान की असफलता के कारण ।
- इस दृष्टिकोण को बदलने के उपायों की चर्चा करें।
इस मिशन का उद्देश्य सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को आच्छादित करना है ताकि दुनिया के सामने हम एक आदर्श देश का उदाहरण प्रस्तुत कर सकें। भौतिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक कल्याण के लिये भारत के लोगों में इसका एहसास होना बेहद आवश्यक है। मिशन के उद्देश्यों में से कुछ उद्देश्य हैं, खुले में शौच समाप्त करना, अस्वास्थ्यकर शौचालयों को फ्लश शौचालयों के रूप में परिवर्तित करना, हाथ से मल की सफाई किये जाने से रोकना, ठोस और तरल कचरे का पुनः उपयोग, लोगों को सफाई के प्रति जागरूक करना, उन्हें अच्छी आदतों को अपनाने के लिये प्रेरित करना, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था अनुकूल बनाना व भारत में निवेश के प्रति रुचि रखने वाले सभी निजी क्षेत्रों के निवेशकों के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करना आदि।
स्वच्छ जीवनशैली किसी भी समाज की संस्कृति में घुली-मिली होनी चाहिये। अगर खुद शासन की नीतियाँ और व्यवहार ऐसे सामाजिक बदलाव को लक्षित हों तो आम जनता भी इससे प्रभावित होगी। शुरुआती दौर में शासन से लेकर आम जनता के बीच इस मसले पर काफी उत्साह देखा गया। लेकिन पिछले कुछ समय से इस मामले में उदासीनता देखी जा रही है। स्वच्छता रखने के प्रति लोग धीरे-धीरे उदासीन होते जा रहे हैं।
सरकारी और गैर-सरकारी प्रयासों द्वारा लोगों में यह भावना ज़रूर पैदा की जानी चाहिये और जागरूकता लाई जानी चाहिये कि स्वास्थ्य जीवन के लिये सफाई बेहद महत्त्वपूर्ण काम है।
यह सच है कि आम लोग अपने आसपास के माहौल से प्रभावित होते हैं और उसी के मुताबिक उनकी जीवनशैली तय होती है। इसलिये सरकार या शासन को अपनी ओर से इस तरह का माहौल बनाना चाहिये। दिल्ली में मेट्रो रेल इसका उदाहरण है। मेट्रो रेल प्रबंधन की ओर से साफ-सफाई का बेहतर माहौल बनाया गया है और लगभग सभी लोग कम से कम मेट्रो परिसर के भीतर स्वच्छता का ध्यान रखते हैं।
कोई भी व्यक्ति कितना ही बड़ा क्यों न हो अगर वह किसी तरह की गंदगी करता है तो उसको समाज में नीचा दर्जा मिलना चाहिये। साथ ही स्वच्छता रखने वाले व्यक्ति को प्रोत्साहन मिलना चाहिये एवं गंदगी फ़ैलाने वाले को सामाजिक दंड मिलना चाहिए। जहाँ पर साफ-सफाई नहीं है, वहाँ विकास इत्यादि से भी हाथ खींचने जैसे प्रावधान हों ताकि लोग स्वच्छता की दिशा में सक्रिय रहें। इसके लिये प्रोत्साहन एवं प्रताड़ना के अनगिनत तरीके हैं
गंदगी फैलाने वालों से जुर्माना वसूलना एक उपाय है, मगर ज़्यादा बेहतर और स्थायी नतीजे के लिये ज़रूरी है कि सफाई को समाज की संस्कृति के रूप में विकसित किया जाए।
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