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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    वास्तव में मात्र धन-संपत्ति, बिना इस पर ध्यान दिये कि इसे कैसे अर्जित किया गया है, कंपनियों और व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति को आँकने का एक मानक बन गया है और इसने कई कॉर्पोरेट घोटालों को प्रेरित किया है। यह निगम प्रशासन में नैतिकता की ज़रूरत की ओर इशारा कर रहा है। इस पृष्ठभूमि में इस तरह के चलन का अंत करने के लिये सेबी की पहलों को समझाएँ।

    10 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    व्यापार में नैतिकता के विषय के कई आयाम हैं तथा इसका दायरा बहुत विशाल है। हाल के दिनों में, दुनिया भर में बहुत सारे कॉर्पोरेट घोटाले और बहुत सी कंपनियों का पतन देखा गया है। भारत में हाल ही में नीरव मोदी द्वारा किया गया बैंक घोटाला, सत्यम, किंगफिशर, सहारा घोटाला इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इन सभी घटनाओं ने एक मुक्त बाज़ार के विश्वास को विनियमित करने की ओर अग्रसर कर दिया है। इस पृष्ठभूमि में कॉर्पोरेट गवर्नेंस का महत्त्व काफी बढ़ गया है।

    संक्षिप्त रूप में, कॉर्पोरेट गवर्नेंस कंपनी के प्रबंधन, निदेशकों, इसके शेयरधारकों, लेखा परीक्षकों और अन्य हितधारकों तथा अपने बोर्ड के बीच संबंधों का एक लेखा-जोखा है। ये संबंध, जिनमें विभिन्न नियम और प्रोत्साहन शामिल हैं, कंपनी को एक संरचना प्रदान करते हैं। कॉर्पोरेट गवर्नेंस द्वारा कंपनी अपने उद्देश्यों को स्थापित करती है तथा इसके माध्यम से इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रयास के साथ ही निगरानी के साधन भी मुहैया कराती है।

    व्यापक अर्थ में, एक अच्छा कॉर्पोरेट प्रशासन कंपनियों को दीर्घकालिक सामरिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दृष्टि से संरचना, संचालन और कंपनी के नियंत्रण की प्रणाली है, ताकि शेयरधारकों, लेनदारों, कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और आपूर्तिकर्त्ताओं की संतुष्टि एवं क़ानूनी तथा नियामक अपेक्षाओं के अनुपालन के अतिरिक्त पर्यावरण तथा स्थानीय सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति संभव हो सके। इस प्रकार यह औद्योगिक विकास तथा देश के विकास को सुनिश्चित कर सके।

    इस प्रकार सेबी ने कॉर्पोरेट जगत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस लाकर एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का कार्य शुरू किया। सेबी की रिपोर्ट का आधार ब्रिटेन के कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर कैडबरी समिति की रिपोर्ट तथा अमेरिका के ओईसीडी समिति की रिपोर्ट थी। इसकी मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

    कंपनियों के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों की कम-से-कम 50% के साथ स्वतंत्र समितियाँ बनाईं जानी चाहियें।

    कुछ महत्त्वपूर्ण मामलों को बोर्ड के समक्ष लाया जाना चाहिये जो मुख्य रूप से स्वतंत्र हैं। इससे पहले इस मामले में ऐसा नहीं होता था।

    जो कंपनियाँ होल्डिंग्स खातों और सहायक कंपनियों के समेकन की संभावना रखती हैं, उनके लिये नए लेखा मानदंडों का पालन अनिवार्य हो गया है। इस लेखा प्रणाली के साथ भारत अंतर्राष्ट्रीय लेखा प्रणाली का पालन करेगा।

    बोर्ड कई महत्त्वपूर्ण समितियों की नियुक्ति करेगा और इनमें से एक लेखा परीक्षा समिति होगी, जिसमें तीन स्वतंत्र निदेशक शामिल होंगे। यह समिति लेखांकन नीतियों को परिभाषित करेगी, उनकी समीक्षा करेगी तथा सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति की सिफारिश करेगी और यह ऑडिट रिपोर्ट पर भी विचार करेगी।

    यह कॉर्पोरेट प्रशासन कोड नैतिकता के सिद्धांत का प्रतीक है। कई कंपनियों ने, न केवल कानूनी दृष्टि से बल्कि व्यावहारिक रूप में भी कॉर्पोरेट प्रशासन कोड के महत्त्व को महसूस किया है। मजबूत प्रतियोगिता और एकाधिकार विरोधी कानून व्यापार में नैतिकता लागू करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण तरीका है। सेबी को इन मामलों में अधिक ध्यान देने की जरूरत है तथा व्यापार में नैतिकता लाने के लिये सेबी को और शक्ति-संपन्न बनाने की जरूरत है।

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