बुद्ध के विचारों की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
11 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नमहात्मा बुद्ध भारतीय विरासत की अनमोल धरोहर हैं। बुद्ध अपनी मृत्यु के लगभग 2500 वर्षों के बाद आज भी हमारे समाज के लिये प्रासंगिक बने हुए हैं।
बुद्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण विचार है- ‘आत्म दीपो भव’ यानी ‘अपने दीपक स्वयं बनो।’ इसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य या किसी नैतिक-अनैतिक प्रश्न का फैसला स्वयं करना चाहिये। यह विचार वर्तमान समय में बेहद प्रासंगिक है। हमारे विश्वविद्यालय जो हर बच्चे को ठोक-पीटकर एक जैसा बना देने के कारखानें बन गए हैं, उन्हें यह समझना बहेद ज़रूरी है कि हर बच्चे का स्वधर्म या स्वभाव अलग होता है और उसे अपना रास्ता चुनने का मौका दिया जाना चाहिये। इसका फायदा यह होगा कि समाज में ज्यादा-से-ज्यादा नवाचार होगें, हर व्यक्ति बिना किसी भय के अपनी सृजनात्मकता को प्रदर्शित कर सकेगा।
बुद्ध के नैतिक दृष्टिकोण का दूसरा प्रमुख विचार ‘मध्यम मार्ग’ के नाम से जाना जाता है। सूक्ष्म दार्शनिक स्तर पर तो इसका अर्थ भिन्न है, कितु लोक नैतिकता के स्तर पर इसका अभिप्राय सिर्फ इतना है कि व्यक्ति को किसी भी प्रकार के अतिवादी व्यवहार से बचना चाहिये। मध्यम मार्ग का विचार आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना बुद्ध के समय रहा होगा। आज जिस तरह से उपभोक्तावाद हमारे सामने तरह-तरह का भोग आकांक्षाएँ परोस रहा है, जिस तरह से मुक्त मीडिया हमारी इच्छाओं को भड़काने वाले दृश्य दिखा रहा है, स्वाभाविक है कि आज का मनुष्य भोग करने की इच्छाओं के मामले में इतिहास के किसी भी दौर के मनुष्य की तुलना में ज्यादा भूखा और आक्रामक है। इच्छाओं के अनियंत्रित विस्फोट के इस दौर में बहुत जरूरी है कि व्यक्ति, व्यक्ति अपनी इंद्रियों का दास न बन जाए, बल्कि वह लालसाओं और बुद्धि के नियंत्रण के बीच का रासता निकालने की कोशिश करे।
बुद्ध के विचारों का प्रेरणादायी पक्ष यह है कि वे व्यक्ति को अहंकार से मुक्त होने की सलाह देते हैं। अहंकार का अर्थ है मैं की भावना। यह मैं ही संसार के अधिकांश झगड़ों की जड़ है, जो शायद बुद्ध के काल में भी रही होगी और वर्तमान समय में भी है। जिन लोगों के भीतर मैं की भावना बहुत अधिक होती है वे प्रायः बाकी लोगों को अपने साथ लेकर नहीं चल पाते; उन्हें प्रायः हर व्यक्ति में अपना प्रतिस्पर्धी या शत्रु ही नज़र आता है, दोस्त या शुभचिंतक नहीं।
बुद्ध नीति की अन्य प्रेरणादायी बात यह है कि इसमें परिवर्तनों के प्रति बेहद सकारात्मक रुझान दिखाई पड़ता है। बुद्ध कहते हैं कि संसार में परिवर्तन के अलावा कुछ भी स्थायी नहीं है। बुद्ध की यह बात हमें रूढि़वादी होने से बचाती है। समाज के अधिकांश संकटों की जड़ इसी बात में छिपी है कि लोग समय के अनुसार खुद को बदल नहीं पाते। यदि बुद्ध की इस बात को हम समझ लें तो शायद हम यथास्थितिवादी होने से बच सकते हैं।