यद्यपि एशिया प्रशांत क्षेत्र किसी एक क्षेत्र की अपेक्षा कई क्षेत्रों में विकास का अगुआ बनकर उभरा है लेकिन विकास के साथ-साथ चुनौतियाँ भी जस की तस बनी हुई हैं। इस कथन के संदर्भ में सेंदाई फ्रेमवर्क को स्पष्ट करते हुए इसके लक्ष्यों तथा प्रमुख कार्यों की चर्चा करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करें।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में सेंदायी फ्रेमवर्क को स्पष्ट करते हुए इसके लक्ष्यों तथा प्रमुख कार्यों की चर्चा करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
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पिछले दो दशकों से ज्यादा समय से एशिया प्रशांत क्षेत्र में कई सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं, इस क्षेत्र के अधिकतर देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था में बदलाव किया है और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास के इंजन बने हैं। वास्तव में एशिया प्रशांत क्षेत्र किसी एक क्षेत्र की बजाय कई क्षेत्रों में विकास का अगुआ बनकर उभरा है जिसके परिणामस्वरूप करोड़ों लोग गरीबी के दायरे से बाहर हुए हैं। लेकिन, विकास के साथ-साथ चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं जो कि बड़ी आपदाओं के रूप में हमारे सामने आती हैं।
पिछले 20 वर्षों में एशिया प्रशांत क्षेत्र में आपदा के चलते 5 लाख 80 हज़ार लोगों की मौत हुई है। आपदा के कारण सबसे ज्यादा मरने वालों के लिहाज़ से शीर्ष दस देशों में एशिया प्रशांत क्षेत्र के सात देश शामिल हैं। गौरतलब है कि भारत भी इन आपदाओं से अछूता नहीं है। आपदा के लिये ज़िम्मेदार कारकों और भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन की दिशा में किये गए प्रयासों में सेंदाई फ्रेमवर्क एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
सेंदाई फ्रेमवर्क क्या है?
- सेंदाई फ्रेमवर्क एक प्रगतिशील फ्रेमवर्क है और इस महत्त्वपूर्ण फ्रेमवर्क का उद्देश्य 2030 तक आपदाओं के कारण होने वाले महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के नुकसान और प्रभावित लोगों की संख्या को कम करना है।
- यह 15 वर्षों के लिये स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी समझौता है, जिसके अंतर्गत आपदा जोखिम को कम करने के लिये राज्य की भूमिका को प्राथमिक माना जाता है, लेकिन यह ज़िम्मेदारी अन्य हितधारकों समेत स्थानीय सरकार और निजी क्षेत्र के साथ साझा की जानी चाहिये।
सात वैश्विक लक्ष्य
- वर्ष 2030 तक 2005-2015 की अवधि के मुकाबले 2020-2030 के दशक में औसत वैश्विक मृत्यु दर के आँकड़े को प्रति 100,000 तक कम करना।
- वर्ष 2030 तक 2005-2015 की अवधि की तुलना में 2020-2030 के दशक में औसत वैश्विक रूप से आपदा प्रभावित लोगों की संख्या को प्रति 100,000 तक कम करने का लक्ष्य है।
- वर्ष 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के संबंध में प्रत्यक्ष आपदा से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करना।
- वर्ष 2030 तक आपदा से होने वाली क्षति तथा साथ ही स्वास्थ्य और शैक्षिक सुविधाओं एवं महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और बुनियादी सेवाओं में व्यवधान को कम करना।
- वर्ष 2020 तक राष्ट्रीय और स्थानीय आपदा जोखिम में कमी की रणनीति अपनाने वाले देशों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करना।
- वर्ष 2030 तक इस फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन के लिये अपने राष्ट्रीय कार्यों की पूर्ति हेतु पर्याप्त और सतत् समर्थन के माध्यम से विकासशील देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- वर्ष 2030 तक मल्टी-हज़ार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम, आपदा जोखिम की जानकारी तथा आकलन की उपलब्धता में पर्याप्त वृद्धि करके लोगों की पहुँच इन तक सुनिश्चित करना।
चार प्रमुख कार्य
- आपदा जोखिम का अध्ययन।
- आपदा जोखिम प्रबंधन में सुधार करना।
- ढाँचागत और गैर-ढाँचागत उपायों के ज़रिये आपदा जोखिम को कम करने के लिये निवेश करना।
- आपदा का सामना करने के लिये तैयारी, पूर्व सूचना एवं आपदा के बाद बेहतर पुनर्निर्माण कार्य करना।
उल्लेखनीय है कि सेंदाई फ्रेमवर्क को ह्यूगो फ्रेमवर्क फॉर एक्शन (HFA) 2005-2015 के बाद लाया गया है। यह एशिया प्रशांत क्षेत्र में छोटी-बड़ी, नियमित-अनियमित हर प्रकार की आपदा से निपटने के लिये एक विस्तृत कार्ययोजना के तहत संचालित किया जाएगा।