विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की राजधानी दिल्ली को विश्व के बड़े शहरों में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर पाया गया है। दिल्ली में वायु-प्रदूषण का स्तर ज़्यादा होने के कारण यहाँ के निवासियों में फेफड़ों और दिल की बीमारियाँ होने का खतरा बहुत बढ़ गया है। दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों से प्रदूषण कारी गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन, कूड़े को खुले में जलाना तथा दिल्ली के चारों ओर औद्योगिक इकाइयों की उपस्थिति है। दिल्ली प्रशासन वाहनों की संख्या को नियंत्रित करने के लिये ‘ऑड-ईवन’ योजना भी लागू करके देख चुका है, परंतु उससे वायु की गुणवत्ता में कोई विशेष सुधार परिलक्षित नहीं हुआ। एक प्रशासक के तौर पर कुछ ऐसे नवाचारों और साध्य रणनीतियों की चर्चा कीजिये, जिन्हें लागू किया जा सके तथा जिससे वायु प्रदूषण की इस विकट स्थिति में सुधार लाया जा सके।
16 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नभारत की राजधानी दिल्ली को विश्व के बड़े शहरों में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर पाया जाना निश्चित तौर पर एक चिंता का विषय है। वायु प्रदूषण न केवल कई बीमारियों को जन्म देता है बल्कि यह जीवन-प्रत्याशा एवं जीवन की गुणवत्ता दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह तथ्य तो प्रश्न में ही दिया गया है कि वायु प्रदूषण के मुख्य कारण वाहनों से धुएँ का उत्सर्जन, कूड़े को खुले में जलाना और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली गैसें हैं। परंतु इनके अतिरिक्त भी वायु प्रदूषण के कुछ अन्य कारण हैं, जैसे- शहर में अत्यधिक मात्रा में मौजूद तंदूर की भट्टियों से निकलने वाला धुआँ, पुराने वाहनों से अधिक मात्रा में निकलने वाला धुआँ, टूटी-फूटी सड़क के कारण वाहनों के गुज़रने से उठने वाली धूल, बिना ढके होने वाले नव निर्माण से उड़ने वाली सीमेंट व धूल तथा अत्यधिक जाम लगने से होने वाला प्रदूषण आदि हैं। ये बाकी के कारण देखने में मामूली लग रहे हैं परंतु वायु प्रदूषण फैलाने में इनकी भी अहम भूमिका है।
एक प्रशासक के तौर पर मैं प्रदूषण को कम करने के लिये निम्नलिखित कदम उठाऊंगा-
निष्कर्षतः वायु प्रदूषण जैसी समस्या का हल कोई व्यक्ति विशेष के बस की बात नहीं है; इसमें जन-भागीदारी की अहम भूमिका होती है। इसलिये इस मिशन में लोगों को साथ जोड़ना सबसे अहम, नवाचारी और साध्य कदम होगा।