नैतिक शासन और नैतिक प्रबंधन को परिभाषित करते हुए इनके महत्त्व को रेखांकित करें।
04 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्ननैतिक शासनः यह शासन का एक तरीका है, जिसका संबंध व्यवसाय, सरकार, राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, देखभाल आदि में प्रबंधन और नीति बनाने से संबंधित गतिविधियों के सही और उचित आचरण से है।
नैतिक शासन सतत् विकास, वित्तीय मंदी एवं आर्थिक गिरावट, गरीबी उन्मूलन तथा असमानता को रोकने, मानवाधिकार, श्रम, पर्यावरण और भ्रष्टाचार विरोधी गतिविधियों से घनिष्ठता से जुड़ा है।
नैतिक शासन की सफलता के लिये पारदर्शिता, खुलापन, सूचना प्रवाह और संचार में संगतता होनी चाहिये। यद्यपि व्यापक जानकारी का प्रवाह और सूचनाओं तक पहुँच पाना कई लोगों के लिये मुश्किल हो सकती है, जिसे सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग और ई-शासन के कार्यान्वयन के माध्यम से हल किया जा सकता है।
नैतिक प्रबंधनः नैतिक प्रबंधन से तात्पर्य है, एक सकारात्मक और व्यक्तिपरक अभिवृत्ति। इसमें शामिल हैं- प्रशासक/व्यक्ति द्वारा संबंधित संस्था के आर्थिक और विधिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन, संस्था के दायित्वों को व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों के रूप में मान्यता, निजी लाभ के स्थान पर परहित के उच्च नैतिक मानकों का पालन करना।
वास्तव में सार्वजनिक क्षेत्र में नैतिक प्रबंधन की शुरुआत भ्रष्टाचार की समस्या को हल करने से जुड़ी है। जब एक व्यक्ति/प्रशासक नैतिक प्रबंधन के नियमों का पालन करता है, तो इससे सेवा की गुणवत्ता, पारदर्शिता, प्रदर्शन में सुधार, समाज में अच्छी छवि आदि उद्देश्यों की प्राप्ति होती है।
किसी भी संस्थान में निम्नलिखित उपायों द्वारा नैतिक प्रबंधन को बढ़ाया जा सकता हैः