सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से क्या तात्पर्य है? एक प्रशासक के लिये इनका क्या महत्त्व है? चर्चा करें।
06 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नसत्यनिष्ठा का तात्पर्य यह है कि नैतिक कर्त्ता अपनी अंतः मान्यताओं के अनुसार कार्य करता है। उसका काम पाखंड या धोखे से मुक्त होता है और साथ ही, उसके द्वारा निर्धारित मूल्यों के अनुरूप होता है।
वहीं ईमानदारी नैतिक चरित्र के एक पहलू को संदर्भित करती है और सकारात्मक एवं पवित्र गुणों जैसे- सत्यनिष्ठा, सच्चाई, सरलता, वफादारी, निष्पक्ष आदि मूल्यों से जुड़ी है। प्रशासन में ईमानदारी का तात्पर्य है कि सरकारी कर्मचारी को अपने कर्त्तव्यों का पालन वास्तविक ढंग से बिना किसी वित्तीय प्रलोभन में पड़े करना चाहिये।
सत्यनिष्ठा और ईमानदारी, विशेषकर एक लोक सेवक के लिये सर्वोच्च महत्त्व के हैं। एक लोक सेवक का कार्य क्षेत्र लोगों के लिये कार्य करने से जुड़ा है और उसकी क्रियाएँ लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करती हैं। ये क्रियाएँ अनेक फैसलों, दिन-प्रतिदिन का प्रशासन और लोगों के विकास में वृद्धि करने से संबंधित हैं जिनकी सफलता लोक सेवक की सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से जुड़ी है।
यदि लोक सेवक में इन मूल्यों का अभाव है तो गरीब, अशिक्षित, सीमांत और कभी-कभी सम्भ्रांत वर्ग भी इससे प्रभावित होता है। उदाहरणस्वरूप, सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार, कम गुणवत्ता की सड़क के निर्माण का कारक बन सकता है। ऐसी स्थिति में एक लोक सेवक को सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के प्रति हमेशा जागरूक रहना चाहिये।
लोक सेवक में इन मूल्यों का होना भ्रष्टाचार जैसी समस्या के समाधान में सहायक होगा जिससे संविधान में उल्लिखित ‘न्याय’ की प्राप्ति हो सकेगी। अतः इन मूल्यों को बढ़ाए जाने के उपाय करने चाहिये।