भारत में अनाज उत्पादन की समस्या उतनी विकराल नहीं है जितनी कि भंडारण की। अनाज के भंडारण से संबंधित समस्या की चर्चा करते हुए इससे निपटने के उपाय सुझाएँ।
11 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा:
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कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार चावल, गेहूँ सहित सभी दलहनी फसलों के रिकार्ड उत्पादन की बात कही गई है। इसके बावजूद दुनिया में भूखे लोगों की करीब 23% आबादी भारत में निवास करती है। वहीं दूसरी ओर भारत में लाखों टन अनाज उचित भंडारण के अभाव में सड़ जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में खाद्य भंडारण की क्षमता सदैव ज़रूरत से कम रही है। भारतीय खाद्य निगम के पास केवल 340 लाख टन खाद्यान्न की भंडारण क्षमता है। कई बार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनाज सड़ने के संदर्भ में सरकार को फटकार भी लगाई जा चुकी है। न्यायालय का यह भी कहना है कि अनाज को सड़ने देने की बजाय इसे ज़रूरतमंद लोगों में बांट देना चाहिये। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में भंडारण और अधोसंरचना के आभाव में प्रतिवर्ष 201 लाख टन गेहूँ सड़ जाता है जो कि ऑस्ट्रेलिया में उत्पादित कुल गेहूँ की मात्रा के बराबर है। खाद्यान्न की बरबादी का सीधा संबंध बढ़ती महँगाई से भी है।
समाधान- वर्तमान में खाद्य सुरक्षा बिल में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मज़बूत बनाने के लिये अनाज भंडारण के उपायों को भी जोड़ना चाहिये।