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प्रश्न :
हाल ही में मिलेनियम सिटी के नाम से प्रसिद्ध हरियाणा राज्य के गुड़गाँव (अब गुरुग्राम) शहर में भारी बारिश के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर पानी भरने के कारण लगभग 25 किमी.लंबा ट्रैफिक जाम लगा। 20 घण्टों से ज़्यादा समय तक लोग इस ट्रैफिक जाम में फँसे रहे। यह ट्रैफिक जाम न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना, क्योंकि गुड़गाँव में हज़ारों राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के मुख्य कार्यालय एवं बी.पी.ओ. इकाइयाँ हैं। इस जाम के कारण न केवल गुड़गाँव और दिल्ली अपितु कई देशों की आर्थिक-गतिविधियों में व्यवधान पड़ा। इस घटना ने गुड़गाँव के ‘विकास मॉडल’ पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया। आधारभूत संरचना की कमी तथा जल-निकासी के कुप्रबंधन के कारण NH-8 पर जलभराव हुआ और यह जाम लगा। नगर निगम अधिकारियों की योजनाओं में खामियों तथा भू-माफिया द्वारा अवैध भू-अतिक्रमण के चलते अनेक नाले तथा जल-निकासी के प्राकृतिक मार्ग अवरुद्ध हो गए। इसी कारण जल राजमार्ग पर आ गया। ट्रैफिक जाम की दूसरी तस्वीर यह थी कि इसमें फँसे बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं की स्थिति बहुत खराब हो गई थी। इस अव्यवस्था के बीच जाम में फँसे लोगों ने रोटी और पानी के लिये मजबूरी में 10 गुना से ज़्यादा कीमत चुकाई। अव्यवस्था का मंजर ऐसा था कि कई एंबुलेंस को डिवाइडर तोड़कर निकाला गया। राज्य सरकार ने तुरन्त प्रभाव से शहर के पुलिस कमिश्नर का तबादला दूसरे ज़िले में कर दिया तथा उसकी जगह दूसरे अधिकारी को नियुक्त किया। (a) इस केस स्टडी में कौन-कौन से नैतिक मुद्दे शामिल हैं? (b) यदि आप शहर के ज़िलाधिकारी होते तो ऐसी स्थिति में क्या-क्या कदम उठाते? ये भी बताएँ कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिये एक सिविल सेवक में कौन-कौन से गुण होने चाहियें? (c) मान लीजिये, आप ही वह नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर हैं। आपके ऊपर न सिर्फ इस स्थिति से निपटने अपितु दोबारा ऐसी अव्यवस्था न होने देने की दोहरी ज़िम्मेदारी है। आपको शहर एवं पुलिस दोनों की छवि भी सुधारनी है, क्योंकि जाम में फँसे अधिकतर लोगों की शिकायत थी कि पुलिस उनकी सहायता के लिये नहीं पहुँची। ऐसी स्थिति में आप कौन-कौन से कदम उठाएंगे?
07 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
(a) इस केस स्टडी में शहरी विकास प्राधिकरणों में व्याप्त भ्रष्टाचार, आपातस्थिति में मानवीय व्यवहार तथा लोकसेवकों की कर्त्तव्यनिष्ठा से संबंधित नैतिक मुद्दे शामिल हैं। नगर निगम के अधिकारियों द्वारा अपने कर्त्तव्य का समुचित तरीके से निर्वहन कर पाने के फलस्वरूप ही अतिक्रमण आदि से जलभराव की स्थिति आई। जिस प्रकार ट्रैफिक में फँसे लोगों से रोटी और पानी के लिये कुछ लालची लोगों ने 10 गुना तक कीमत वसूली; वह उनकी असंवेदनशीलता और निष्ठुरता की पराकाष्ठा दिखाती है। यह नैतिक तौर पर अधोपतन की स्थिति है। पुलिस और प्रशासन ने जिस लचर तरीके से बिगड़ती स्थिति में प्रतिक्रिया दी, वह उनकी अपने कर्त्तव्य के प्रति समर्पण की भावना के अभाव को दर्शाती है।
(b) यदि मैं शहर का ज़िलाधिकारी होता, तो ऐसी स्थिति में निम्नलिखित कदम उठाता-
- सर्वप्रथम जल निकासी का प्रबंध कराता।
- ट्रैफिक में फँसे लोगों की सुरक्षा व्यवस्था के लिये पुलिस अधीक्षक को निर्देश देता।
- एफ.एम. रेडियो की मदद से हर संभव सहायता के आश्वासन तथा शांति व लोकव्यवस्था बनाए रखने का संदेश प्रसारित करवाता।
- पुलिसकर्मियों की संख्या कम पड़ने की स्थिति में सेना की सहायता मांगता।
- अपने वरिष्ठों को वस्तुस्थिति की गंभीरता से परिचित कराता।
- ट्रैफिक में फँसे लोगों से भोजन और पानी के लिये मनमर्जी की कीमत वसूलने वालों को सख्त कार्यवाही करने की चेतावनी देता, भोजन-पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करता।
ऐसी परिस्थिति में लोग आक्रोशित रहते हैं, आपसे बहुत उम्मीदें होती हैं तथा हालात जटिल होते हैं। एक लोक सेवक में ऐसी परिस्थिति से जूझने के लिये निम्नलिखित गुण होने चाहियें-
- धैर्य
- भावनात्मक प्रज्ञता
- अनुनयन
- ईमानदारी
- सत्यनिष्ठा
- साहस
(c) यदि मेरी नियुक्ति नए कमिश्नर के रूप में होती तो मैं निम्नलिखित कदम उठाता-
- एक पुलिसकर्मी को ऐसे हालातों में क्या करना चाहिये और कैसे करना चाहिये, संबंधी निर्देशों को जारी करता क्योंकि हालात पेचीदा तब ज़्यादा हो जाते हैं, जब स्पष्ट निर्देश मिलने का अभाव होता है।
- शहर में जल-निकासी और ट्रैफिक आवागमन के वैकल्पिक मार्गों का पता लगाता।
- ट्रैफिक की वास्तविक स्थिति बताने वाला ‘एप्प’ जारी करता, ताकि भविष्य में ट्रैफिक अवरुद्ध होने की पूर्व जानकारी पर लोग वैकल्पिक मार्ग से जाएँ।
- पुलिस की छवि को ‘नागरिक-मित्र’ की तरह प्रस्तुत करने का प्रयास करता।
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