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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "सुशासन विकास को प्राप्त करने के लिये आवश्यक है जबकि सहभागितापूर्ण लोकतंत्र न्यायोचित और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करता है।" दिये गए कथन के आलोक में ‘मन की बात’ और ‘मेरी सरकार’ पहल को आप किस तरह से देखते हैं, साथ ही साथ इस सन्दर्भ में अभी और क्या करने की आवश्यकता है? चर्चा करें।

    08 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • सुशासन को परिभाषित करते हुए सुशासन के प्रभावी संचालन हेतु जनता के सहयोग का ज़िक्र करना।
    • सुशासन एवं सहभागितापूर्ण लोकतंत्र की दिशा में ‘मन की बात’ और ‘मेरी सरकार’ पहलों का योगदान।
    • सुशासन प्राप्ति में बाधक तत्त्वों का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष प्रस्तुत करना।

    सुशासन शब्द का प्रयोग एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में किया जाता है जिसमें शासन शक्ति के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक संसाधनों का उपयोग राष्ट्र की उन्नति एवं विकास हेतु किया जाता है। अतः सुशासन विकास हेतु एक आवश्यक शर्त है। लोकतांत्रिक प्रणाली में सुशासन के सुचारु रूप से संचालन हेतु जनता एवं समाज के सभी वर्गों का सहयोग अति आवश्यक है। जनता की सहभागिता के बिना न्यायोचित और टिकाऊ विकास को प्राप्त नहीं किया जा सकता।

    सरकार द्वारा सुशासन एवं सहभागितापूर्ण लोकतंत्र की दिशा में आरंभ की गई ‘मन की बात’ और ‘मेरी सरकार’ पहलें देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका के रूप में जनता की समस्याओं, चिंताओं और अपेक्षाओं को जानने का प्रयास कर उनके निराकरण हेतु प्रयासरत हैं। सरकार छात्रों, युवाओं, किसानों एवं समाज के असंतुष्ट एवं वंचित सभी वर्गों से सीधा संवाद स्थापित कर उन्हें शासन की नीतियों, योजनाओं एवं पहलों से अवगत करा रही है और जनता के सुझावों के आधार पर अपनी दिशा निर्धारित करने का प्रयास कर रही है। साथ ही, जनता में नैतिकता, आपसी सहयोग, साम्प्रदायिक सद्भाव, भाईचारे की भावना आदि को मज़बूत बनाने का प्रयास कर रही है। इन पहलों से जनता सरकार के साथ और जुड़ाव महसूस कर रही है और उसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के वास्तविक स्वरूप का एहसास हो रहा है। इस प्रकार ये पहलें सहभागितापूर्ण लोकतंत्र एवं सुशासन की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं। 

    यद्यपि ये पहलें स्वागतयोग्य हैं परंतु अभी भी सुशासन एवं सहभागितापूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था के सम्मुख भ्रष्टाचार, लालफीताशाही, साम्प्रदायिकता, सामाजिक एवं जातिगत समस्याएँ, रूढ़िवादिता, आतंकवाद एवं नक्सलवाद जैसी कई समस्याएँ विद्यमान हैं जिनका राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता के माध्यम से उचित समाधान करके ही वास्तविक सुशासन प्राप्त कर टिकाऊ विकास को साकार रूप दिया जा सकता है।

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