एक सिविल सेवक अपने प्रशासनिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन में सामान्यतः किस प्रकार के नकारात्मक मनोभावों से ग्रसित हो सकता है? ऐसे मनोभावों को दूर करने हेतु उसे क्या उपाय करने चाहिये?
09 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा:
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एक सिविल सेवक को अपने प्रशासनिक उत्तरदायित्व के निर्वहन में कई प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में कार्य करना पड़ता है तथा कई बार अपने पद व शक्ति के कारण भी सिविल सेवकों में कई नकारात्मक भाव विकसित हो जाते हैं। इसे हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं:
निराशा व प्रेरणा का अभावः कई बार अच्छे कार्य करने के बावजूद आपको विरोधियों की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता है। ऐसी स्थिति में निराशा का भाव जागृत होता है तथा अच्छे कार्य करने की प्रेरणा समाप्त होने लगती है। ऐसी स्थिति में हमें अपनी अभिप्रेरणा बनाए रखने के लिये सिविल सेवा के मूल उद्देश्यों को याद करना चाहिये। जनसेवा स्वयं एक बड़ा पुरस्कार है और फिर यदि आप लगातार अच्छे कार्य कर रहे हैं तो धीरे-धीरे आलोचक भी आधार विहीन हो जाएंगे और उनकी आलोचनाओं का कोई महत्त्व नहीं रह जाएगा।
स्वार्थ व हित का संघर्षः अपने पद एवं शक्ति का दुरुपयोग कर लोग अपने निजी हित साधने में लग जाते हैं। मानव अपनी प्रकृति से स्वार्थी होता है, किंतु हमें अपनी स्वार्थी प्रवृत्तियों को ईश्वर व समाज सेवा की ओर मोड़कर लोकोत्तर बनाने का प्रयास करना चाहिये।
पलायनवादिताः कई बार कठिन परिस्थितियों में सिविल सेवकों द्वारा पलायनवाद का सहारा लिया जाता है। वे समस्याओं से भागने लगते हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जो मनुष्य की चुनौतियों से जूझने की क्षमता को कमजोर करती है। समस्याओं से भागना कोई समाधान नहीं है। अतः मनुष्य को धैर्य और साहसपूर्वक विपरीत परिस्थितियों का सामना करना चाहिये।
ईर्ष्या व पाखंडः कई बार सिविल सेवकों में अपने सहकर्मी वरिष्ठ व कनिष्ठ अधिकारियों को लेकर निजी या अन्य कारणों से ईर्ष्या का भाव जागृत होता है और वे कई प्रकार की गुटबाजियों व पाखंड में लिप्त हो जाते हैं। इससे जनहित भी काफी दुष्प्रभावित होता है। ऐसी स्थिति का सामना करने के लिये सिविल सेवकों को अपने संकीर्ण हितों तथा पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर व्यापक जनहित को ध्यान में रखना चाहिये।
घमंडः कई अधिकारियों को अपनी शक्ति तथा पद का अत्यधिक घमंड हो जाता है और वे इसका दुरुपयोग करने लगते हैं। उन्हें यह समझना चाहिये कि यह शक्ति उन्हें जनहित के लिये प्राप्त हुई है। अतः इस प्रकार अनावश्यक घमंड करना अनुचित है।
इसी प्रकार के कई अन्य नकारात्मक मनोभावों का सिविल सेवकों को समय-समय पर सामना करना पड़ता है। इनसे निपटने के लिये उन्हें जनसेवा को अपना धर्म व निष्काम कर्म को अपना कर्त्तव्य मानते हुए निरंतर अपनी सकारात्मक ऊर्जा व अभिप्रेरणा बनाए रखनी चाहिये।