कल्याणकारी राज्य की स्थापना हेतु प्रशासनिक प्रतिबद्धता एक अति आवश्यक तत्त्व है। टिप्पणी कीजिये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- प्रतिबद्धता का अर्थ
- क्यों कल्याणकारी राज्य की स्थापना हेतु प्रशासनिक प्रतिबद्धता एक आवश्यक तत्त्व है।
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प्रतिबद्धता (Commitment) एक आतंरिक गुण है। प्रतिबद्धता व्यक्ति, विचारधारा या मूल्यों के प्रति हो सकती है। प्रतिबद्धता में संज्ञात्मक व भावनात्मक पक्ष तो होता ही है, प्रायः व्यवहारात्मक पक्ष भी होता है।
ब्रिटिश काल में संस्थागत रूप से स्थापित पुलिस तथा नौकरशाही, रूढि़वादी, असंवेदनशील एवं अभिजात्य थी। नेहरू ने 1964 में स्वयं को इस अर्थ में विफल माना कि वे नौकरशाही के रूढि़वादी चरित्र को नहीं बदल पाए।
आजादी के बाद से वर्तमान समय तक यही प्रश्न बना हुआ है कि नौकरशाही को किसके प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिये।
भारत एक कल्याणकारी राज्य है, पुलिस राज्य नहीं। कल्याण की प्रक्रिया में सिविल सेवक सबसे महत्त्वपूर्ण एजेंट होते हैं। अगर सिविल सेवकों का रवैया जनता के प्रति निष्क्रिय या उदासीन होगा तो हमारे संवैधानिक उद्देश्यों की पूर्ति कैसे हो पाएगी? कल्याणकारी राज्य की स्थापना हेतु सिविल सेवकों की प्रतिबद्धता किसके प्रति और कितनी होनी चाहिये, इसे हम निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझ सकते हैं-
- नौकरशाही की प्रतिबद्धता मूलतः संविधान के प्रति होनी चाहिये और निरपेक्ष रूप में होनी चाहिये। (अगर व्यक्ति की विचारधारा और संवैधानिक विचारधारा में विरोध है तो संविधान को प्राथमिकता देनी चाहिये)
- सामाजिक न्याय व कल्याणकारी उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिये। इसके लिये जरूरी है कि लोकसेवक वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशील तथा करुणावान हो। उन्हें इस बात से आंतरिक संतोष मिलना चाहिये कि वंचित समूहों को मुख्यधारा में लाने में उन्होंने सकारात्मक भूमिका निभाई है।
- संसद द्वारा पारित विधानों तथा नीतियों के प्रति भी सामान्यतः उसे प्रतिबद्ध होना चाहिये। अगर किसी संसदीय नीति की नैतिकता पर गहरा विवाद है और सर्वोच्च न्यायालय में वह नीति प्रश्नगत है तो कुछ समय के लिये उसके प्रति तटस्थ रहा जा सकता है।
- चूँकि लोकसेवक को किसी विशेष दल या गठबंधन की सरकार के अधीन काम करना होता है। इसलिये उसे साधारणतः सरकारी नीतियों, नियमों व आदेशों का प्रतिबद्धता से पालन करना चाहिये।
- सिविल सेवकों को अपनी आचरण संहिता (Code of Conduct) तथा नीति संहिता (Code of Ethics) के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिये। लोकसेवकों को किसी राजनीतिक दल या नेता विशेष के प्रति प्रतिबद्ध नहीं होना चाहिये।