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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल के वर्षों में, देश में प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार के एक के बाद एक कई मामले प्रकाश में आए, इसने युवाओं में निराशा व गुस्से का संचार किया। इस पूरे प्रकरण में सम्मिलित नैतिक मुद्दों की जाँच करें तथा इस समस्या के समाधान के लिये कुछ प्रभावी व नवाचारी उपाय सुझाएँ।

    16 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार के मामलों की चर्चा।
    • युवाओं की प्रतिक्रिया।
    • नैतिक मुद्दे। 
    • समस्या तथा समाधान।

    हाल के वर्षों में देश में प्रतियोगी परिक्षाओं से संबंधित भ्रष्टाचार के कई मामले प्रकाश में आए, इनमें व्यापम घोटाला, एस.एस.सी. स्कैम आदि ने पूरे देश में छात्रों को उत्तेजित व आंदोलित कर दिया। इस प्रकार के प्रकरणों ने जहाँ एक ओर इन आयोगों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाया वहीं, दूसरी ओर छात्रों में निराशा व गुस्से का संचार भी किया। इस प्रकार की घटनाओं ने कई नैतिक प्रश्नों को जन्म दिया जिस पर विमर्श किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है।

    • इसने युवाओं के भविष्य को अंधकारमय करने का काम किया।
    • यह कार्य प्रतिभा को तिरस्कृत करने के समान है।
    • इसने प्रमुख संस्थाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाया।
    • छात्रों में निराशा व उदासीनता का भाव बढ़ाया।

    युवा किसी भी राष्ट्र व समाज की प्रगति के प्रमुख इंजन होते हैं। अतः उनके हितों का प्रमुखता से ध्यान रखा जाना आवश्यक है। इस प्रकार की घटनाएँ देश की संस्थाओं के प्रति अविश्वास पैदा कर अराजक स्थिति को जन्म दे सकती हैं। अतः इस प्रकार के कृत्यों से सख्ती से निपटने की आवश्यकता है। इसके लिये निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं-

    • विभिन्न आयोगों के परीक्षा विभागों को स्वच्छ व पारदर्शी परीक्षा करवाने हेतु विशेष रूप से प्रशिक्षित किये जाने की आवश्यकता है।
    • आई.सी.टी. (ICT) तकनीक पर आधारित परीक्षा प्रणाली विकसित किये जाने की आवश्यकता है।
    • कंप्यूटर आधारित टेस्ट के लिये विश्वसनीय व प्रतिष्ठित कंपनियों को हायर किया जाना चाहिये।
    • परीक्षा संबंधी अनियमितता के लिये सख्त-से-सख्त सज़ा का प्रवाधान किया जाना चाहिये व ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक अदालतों के माध्यम से निपटाया जाना चाहिये।
    • एक स्वतंत्र जाँच एजेंसी की नियुक्ति होनी चाहिये जो समय-समय पर परीक्षा प्रणाली की जाँच कर उसकी खामियों को उजागर करे और सुधार हेतु उपाय सुझाए।
    • लोगों में उच्च नैतिक मानकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।

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