बैंक समेकन इसके आकार, अंशों के मूल्यांकन, निर्णयन स्वीकृति और इसी तरह के कारकों के कारण एक जटिल कार्य है। प्रभावी समेकन हेतु रणनीतियों और चुनौतियों का विशदीकरण कीजिये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- बैंक समेकन को परिभाषित करते हुए भूमिका लिखें।
- समेकन में निहित चुनौतियों को बताएँ।
- इन चुनौतियों के हल हेतु रणनीति सुझाएँ।
- निष्कर्ष लिखें।
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बैंकिंग समेकन से तात्पर्य दो या अधिक बैंकिंग संस्थाओं की सम्पत्ति, देनदारियों और अन्य वित्तीय मदों को संयुक्त कर एक बैंकिंग इकाई को सौंपने से है। यद्यपि जीडीपी के मामले में भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है किंतु 70 बड़े बैंकों की सूची में कोई भी भारतीय बैंक (संपत्ति के आकार के आधार पर)इसमें शामिल नहीं है।
बड़े बैंक दक्षता, जोखिम विविधीकरण और बड़ी परियोजनाओं के वित्तपोषण की क्षमता के कारण महत्त्वपूर्ण हैं। सेवाओं की कम लागत और उच्च गुणवत्ता से उत्पन्न दक्षता लाभ इसके महत्त्व को बढ़ा देते हैं। भारत में वर्तमान में बुनियादी ढाँचे के तीव्र विकास हेतु बड़े ऋणों की आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एस.बी.आई के सहायक बैंकों और भारतीय महिला बैंक का एस.बी.आई में विलय कर दिया।
- हालाँकि बैंकिंग समेकन महत्त्वपूर्ण है किंतु यह अनेक चुनौतियों से ग्रसित है, जिसमें शामिल है: यह आवश्यक नहीं कि बड़ा आकार सदैव बैंकिंग प्रणाली और समग्र अर्थव्यवस्था के लिये फायदेमंद हो। एक निश्चित सीमा से बड़ा आकार तथा दक्षता का अभाव पूरे बैंकिंग सिस्टम की विफलता का कारण बन सकता है। हाल के वित्तीय संकट के दौरान बड़े बैंकों की विफलता को इसके उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।
- विलय केवल तभी उपयोगी हो सकता है, जब यह दोनों बैंकों के लिये मूल्य निर्माण तथा तालमेल के रणनीतिक दृष्टिकोण से प्रेरित हो। एक मज़बूत बैंक के साथ एक कमजोर बैंक का विलय संयुक्त इकाई की कमज़ोरी का कारण बन सकता है। पूंजी की कमी और उच्चतर एनपीए की समस्याएँ यांत्रिक विलय प्रक्रिया के कारण सशक्त बैंक को संचरित हो सकती है।
- विलय के फलस्वरूप शीर्ष प्रबंधन में निर्णयन की प्रक्रिया जटिल रूप धारण कर सकती है क्योंकि यह संभव है कि बड़ी इकाई का प्रबंधन, छोटी इकाई पर हावी हो जाए। साथ ही, विलय से नौकरी जाने की संभावना पैदा होती है।
- मर्ज किये गए बैंक के शेयरों का मूल्यांकन भी एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है क्योंकि छोटी इकाई और बड़ी इकाई के शेयरों का आधार मूल्य अलग-अलग होता है। ऐसे में संयुक्त इकाई के शेयरों के मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया जटिल हो जाती है।
उपर्युक्त चुनौतियों को देखते हुए बैंकिंग समेकन में निम्नलिखित रणनीति के अनुरूप प्रयास किये जा सकते हैं:
- एक विशेषज्ञ कमेटी का गठनः यह संबंधित बैंकों के व्यवसाय की अच्छी तरह से जाँच करे तथा विभिन्न हितधारकों (बैंक बोर्ड, जमाकर्त्ताओं, उधारकर्त्ताओं, पर्यवेक्षकों और कर्मचारियों) के हितों को संतुलित स्वरूप प्रदान करते हुए एक विशिष्ट रणनीति तैयार करे। इस संदर्भ में हाल में गठित बैंक बोर्ड ब्यूरो महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- हितधारकों के हितों की रक्षाः संयुक्त इकाई में उत्पन्न शेयर मूल्य निर्धारण संबंधी समस्या में छोटे शेयर धारकों के हितों का संरक्षण किया जाना चाहिये। इसके लिये विलय की प्रक्रिया सुनिश्चित करने वाले बोर्ड में प्रारंभ से ही सभी हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिये।
- इसके अलावा, विलय कुछ क्षेत्रों या भौगोलिक क्षेत्रों में प्रतिस्पर्द्धा को कम कर सकता है और बैंकों एवं गैर-बैंकों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को बदल सकता है। इसलिये समेकन के संदर्भ में प्रतिस्पर्द्धा और उपभोक्ता संरक्षण से जुड़े पहलुओं का ध्यानपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिये।
- विलय में कार्यान्वयन संबंधी चुनौती से बचने के लिये समेकन तर्क और तालमेल पर आधारित हो। विरासत से जुड़े मुद्दों का इलाज,निरर्थक शाखाओं को बंद करना, मानव संसाधनों की तैनाती और विलय के बाद पूंजी के कुशल आवंटन संबंधी मुद्दों पर बेहतर रणनीति आवश्यक है।
- निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि पीएसवी के समेकन के लिये यह महत्त्वपूर्ण समय है।जो एकीकरण परिचालन में दक्षता और तालमेल लाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय बैंक क्षेत्र हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था की ऋण मांग को पूरा करने में सक्षम है। यह ‘वित्तीय समावेशन’ और ‘सबका साथ सबका विकास’ करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।