शासन व्यवस्था में ईमानदारी से आप क्या समझते हैं? क्या लोकसेवकों की ईमानदारी प्रशासन की सफलता का आधार हो सकती है? स्पष्ट कीजिये।
20 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
प्रश्न-विच्छेद
हल करने का दृष्टिकोण
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सामाजिक न्याय की प्राप्ति तथा प्रशासन में दक्षता के लिये शासन व्यवस्था में ईमानदारी अनिवार्य है। शासन में ईमानदारी की उपस्थिति के लिये प्रभावी कानून, नियम, विनियम होने आवश्यक हैं और साथ ही यह भी आवश्यक है कि इसका अनुपालन प्रभावी तरीके से किया जाए। पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व जैसे गुण शासन में ईमानदारी को बढ़ाने में सहायक हैं।
ईमानदारी आंतरिक रूप से अनुशासन से संबंधित है और एक लोकसेवक के लिये यह उसका अति आवश्यक गुण है। किसी लोक सेवक में यह गुण जहाँ उसकी कार्यशैली के स्तर को बताता है वहीं जनहित के रूप में बेहतर परिणाम को भी दिखाता है।
वस्तुतः शासन द्वारा निर्मित योजनाओं का लाभ जनता तक पहुँचाना प्रशासन का मुख्य कार्य है और प्रशासन की सफलता भी तभी है जब जनहित में किये जाने वाले कार्यों का संपूर्ण लाभ जनता तक पहुँचे। पश्चिमी देशों में व्यक्ति उच्च पदों पर पहुँचने के साथ ही कानून के प्रति सम्मान का भाव विकसित कर जनहित में कार्य करते हैं और शासक वर्ग भी कानूनों का पालन ईमानदारी व अनुशासन के साथ करता है लेकिन भारत में व्यक्ति की शक्ति को लोग इस बात से आँकते हैं कि वह किस सीमा तक कानून से परे जाकर काम करवा सकता है। शक्ति के इसी मिथ्या प्रदर्शन के कारण भारत में लोक सेवकों में अपने कार्य के प्रति उदासीनता तथा भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति देखी जाती है। इसी परिप्रेक्ष्य में सूचना का अधिकार अधिनियम जैसे कदमों द्वारा पारदर्शिता तथा सिटिज़न चार्टर व सेवोत्तम मॉडल जैसे कदमों ने उत्तरदायित्व की भावना को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन कदमों के माध्यम से लोक सेवकों में अपने कार्य के प्रति ईमानदारी की भावना विकसित होने से लोक सेवाओं में भ्रष्टाचार की कमी भी देखी गई है तथा शासन द्वारा बनाई गई योजनाओं का जनहित में सफल क्रियान्वयन भी किया जा रहा है।
अतः लोक सेवकों की अपने कार्य के प्रति निष्ठा, पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व की भावना ही प्रशासन की सफलता का आधार है।