नैतिक अभिकर्ता से आप क्या समझते हैं? क्या प्रशासक एक नैतिक अभिकर्ता होता है?
30 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण :
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एक व्यक्ति नैतिक अभिकर्ता तभी होता है जब किसी भी परिस्थिति में उसका आचरण ऐसा हो जो स्वेच्छा से किया गया हो तथा जो संबंधित लोगों के लिये महत्तम सुख की सृष्टि करता हो अथवा कर सकने की संभावना रखता हो और जहाँ दुःख आवश्यंभावी है वहाँ उसे यथासंभव कम-से-कम करने का प्रयत्न करता हो। इस दृष्टिकोण से एक प्रशासक एक नैतिक अभिकर्ता होता है।
ओर्डवे टीड का मानना है कि प्रशासन एक नैतिक कृत्य है और प्रशासक एक नैतिक अभिकर्ता। प्रशासन में नैतिकता का आधार केवल कानूनों का बनना ही नहीं होता, बल्कि यह समझना भी है, कि कोई भी कानून या नियम क्यों बने और उसके अनुपालन की आवश्यकता क्यों है? चूंकि एक प्रशासक भी कानूनों की व्याख्या करता है, अतः इसका सीधा-सा अर्थ यह है कि यदि प्रशासक एक नैतिक अभिकर्ता नहीं है, तो कानून का शासन भी एक बहुत अन्यायपूर्ण व त्रासदी वाला हो सकता है। प्रशासन का उद्देश्य शक्ति का प्रयोग करना हीं नहीं, बल्कि उसका परिसीमन करना भी है। इस अर्थ में प्रशासन का तात्पर्य, व्यवस्था करना या व्यक्तियों की देखभाल करना या कार्यों को नैतिक एवं व्यवस्थित ढंग से करना है, जिससे अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख का अभिनिर्धारण किया जा सके और एक प्रशासक द्वारा जनहित को ध्यान में रखते हुए इन कार्यों को पूर्ण किया जाता है। अतः एक प्रशासक एक नैतिक अभिकर्ता होता है। परंतु लोक प्रशासन की दुनिया में प्रशासनिक नैतिकता को केवल कानून के ही आधार पर मूल्यांकित करना स्वयं में एक अनैतिकता है। वर्तमान में लोकतंत्र और विकास के कारण प्रशासन में ‘विवेकाधिकार का क्षेत्र’ बहुत तेज़ी से फैला है, अतः प्रशासक अपने सभी कार्यों को नैतिक मानने लगे हैं। चाहे वे जनहित में हों या न हो।
अतः इस संबंध में व्यापक सुधार की आवश्यकता है ताकि एक प्रशासक की एक नैतिक अभिकर्ता के रूप में उपस्थिति बनी रहे।