इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता को बताते हुए स्थायी परिषद में भारत की सदस्यता के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करें।

    12 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता को स्पष्ट करें।
    • इसमें सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत की सदस्यता के पक्ष में तर्कों को स्पष्ट करें।

    संयुक्त राष्ट्र एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसका उद्देश्य विश्व में मानव अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए अंतरराष्ट्रीय-सुरक्षा, आर्थिक-विकास, सामाजिक विकास तथा विश्व शांति को बढ़ावा देना है। इसकी स्थापना 1945 में 51 राष्ट्रों द्वारा की गई थी। किंतु वर्तमान समय में इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 193 हो गई है। इसके अलावा, संगठन के कुछ प्रावधान लोकतांत्रिक ढांचे के विरुद्ध भी हैं।  संयुक्त राष्ट्र की संरचना तथा गतिविधि को समयानुकूल बनाने के लिये इसमें सुधार किये जाने की आवश्यकता है। इसे निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-

    संयुक्त राष्ट्र में सुधार का एक बड़ा मामला इसके सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या से जुड़ा हुआ है। वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों में अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के राष्ट्रों की संख्या अत्यधिक है किंतु इन क्षेत्रों से एक भी प्रतिनिधि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में शामिल नहीं है। इसके अलावा, वर्तमान समय में विकासशील देशों की संख्या तेजी से बढ़ी है किंतु स्थायी सुरक्षा परिषद में केवल एक देश ही विकासशील देशों का प्रभावी प्रतिनिधित्व करता है। शक्ति तथा लोकतांत्रिक दृष्टि से भी संयुक्त राष्ट्रसंघ के सुरक्षा परिषद का ढांचा उचित नहीं जान पड़ता। इसमें भारत-जापान जैसी बड़ी शक्तियाँ शामिल नहीं है। साथ ही, विश्व के दूसरे सर्वाधिक जनसंख्या होने वाले देश तथा विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के होने के बाद भी इसमें भारत को स्थान नहीं दिया गया है। अतः सुरक्षा परिषद में सदस्यों की संख्या को लोकतांत्रिक बनाए जाने की आवश्यकता है।

    संयुक्त राष्ट्रसंघ की क्रियाविधि में भी सुधार की आवश्यकता है। वर्तमान समय में संपूर्ण विश्व में लोकतांत्रिक प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है। किंतु सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों को वीटो अधिकार दिया जाना लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है। इसके आधार पर 5 सदस्य देशों में से कोई भी एक देश संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों के मतों पर भारी पड़ सकता है।।

    इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय व्यवस्था में भी सुधार की आवश्यकता है। वर्तमान समय में, यह अपने 22% वित्त के लिये  संयुक्त राष्ट्र अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश पर आश्रित है। इससे संबंधित निर्णयों में इन देशों का अधिक प्रभाव होता है जो संयुक्त राष्ट्र की निरपेक्षता को प्रभावित करते हैं। इसकी वित्तीय व्यवस्था  को भी लोकतांत्रिक बनाए जाने की आवश्यकता है। 

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत की सदस्यता के तर्क

    • भारत संयुक्त राष्ट्रसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल है तथा पारंपरिक रुप से वसुधैव कुटुंबकम तथा विश्व शांति जैसे विचारों का समर्थक है।
    • भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और जनसंख्या तथा भूगोल इन दोनों ही दृष्टि से विश्व में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
    • अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देखा जाए तो भारत विश्व की दूसरी सबसे अधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। इसके अलावा पीपीपी पर आधारित जीडीपी  की दृष्टि से भारत विश्व की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है।
    • संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता भारत ही है।

    स्पष्ट है कि भारत सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक तथा भौगोलिक इन सभी दृष्टि से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के योग्य है। संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सुरक्षा सदस्य के रूप में भारत जैसे शांतिप्रिय और शक्ति संपन्न देश के चयन से इसके लोकतांत्रिक मूल्यों में वृद्धि होगी और संपूर्ण विश्व में आपसी सद्भाव तथा शांति को बढ़ावा मिलेगा।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2