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प्रश्न :
सूचना क्रांति के प्रयोग ने यद्यपि पारदर्शिता का बढ़ावा दिया है, फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था को नागरिक केंद्रित बनाने के लिये प्रशासन के लिये कुछ नैतिक मापदंड भी आवश्यक हैं। इस संदर्भ में लोक सेवकों के लिये निर्मित आचार संहिता में किन मूल्यों का समावेश आवश्यक है। चर्चा करें।
05 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- आचार संहिता क्या है ?
- लोक सेवकों के लिए निर्मित आचार संहिता में किन मूल्यों का समावेश आवश्यक है?
- निष्कर्ष।
आचार संहिता नियमों का एक ऐसा समुच्चय है जो किसी व्यक्ति, संस्था अथवा संगठन को ज़िम्मेदारियों से युक्त बनाता है तथा नैतिक व सामाजिक मूल्यों का संचार भी करता है। लोक सेवक भारतीय प्रशासन तंत्र का आधार है। ऐसे में उनसे अपेक्षित है कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक का विकास करने का वह ईमानदारीपूर्ण प्रयास करे।
आचार-संहिता के आवश्यक तत्त्वों में निम्नलिखित मूल्यों को शामिल किया जाना ज़रूरी है-
- लोकसेवकों की संविधान की उद्देशिका में स्थापित विविध आदर्शों के प्रति गहरी निष्ठा होनी चाहिये तथा लोगों की सेवा के लिये सुशासन की स्थापना उनका प्राथमिक लक्ष्य होना चाहिये।
- निर्णय तथा जवाबदेही में पारदर्शिता होनी चाहिये, वहीं राजनीति से रंचमात्र प्रभावित हुए बिना वह उद्देश्यपूर्ण व निष्पक्ष ढंग से अपने कार्य को संपन्न करें।
- लोक सेवक उच्चतम नैतिक प्रतिमानों का निवर्हन करते हुए स्वस्थ्य और अनुकूल कार्य के लायक वातावरण प्रदान करे।
- सिविल सेवकों के चयन का एकमात्र आधार उनकी योग्यता हो जिसके मूल में राष्ट्र की विविधता, संस्कृति से संबंधित आदर्शों तथा मानवीय गुणों की खोज शामिल है।
भारत में लोक सेवकों की आचार-संहिता से संबंधित एक बिल भी प्रस्तावित है जिसमें लोक सेवा संहिता तथा लोक सेवा प्रबंध संहिता के माध्यम से और अधिक उत्तरदायित्वों के निर्धारण का प्रस्ताव किया गया है जिसके अतिक्रमण पर दंड का भी प्रावधान है।
लोकसेवकों पर इस बात को लेकर पूरी तरह पाबंदी लगाई जाए कि वे न तो किसी गैर-सरकारी संगठन से जुड़े और न ही किसी क्लब या सामाजिक संगठन में किसी भी निर्वाचित पद को ग्रहण करें।
सुधार आयोग ने इस बात की सिफारिश की है कि संयुक्त सचिव और इससे उच्च स्तर के लोक सेवकों की नियुक्तियों, उन्हें पैनल में रखने, पदोन्नतियों, स्थानांतरण और अनुशासनिक कार्यवाहियों के संबंध में एक स्वतंत्र लोक सेवा आयोग का गठन किया जाए और इस आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय तथा राज्य के लिये उच्च न्यायालय के न्यायाधीश करें।
उपर्युक्त तत्त्वों के समावेश द्वारा लोक सेवकों के लिये निर्मित आचार-संहिता को अधिक जनोन्मुखी बनाया जा सकता है।
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