एकाधिकार की समाप्ति उपभोक्ताओं को सेवाओं के चयन का अधिकार प्रदान करता है। नागरिकों को विभिन्न एजेंसियों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में किस प्रकार एकाधिकार की समाप्ति की जा सकती है।
07 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नकिसी भी कार्य में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा देश को उचित और सफल परिणामों की ओर ले जाती है। सेवा तथा व्यवसाय संबंधी विभिन्न मामलों में भी यह नियम समान रूप से लागू होता है।
प्रतिस्पर्धा के माध्यम से जहाँ उपभोक्ताओं के चयन की बाध्यता नहीं होती है बल्कि अपनी क्षमता और उत्पाद की गुणवत्ता के अनुसार चयन के स्वतंत्र अवसर उपलब्ध होते हैं वहीं, उत्पादक कंपनियों के मध्य बेहतर गुणवत्ता के उत्पादों को लेकर प्रतिस्पर्द्धा होती है जिसका लाभ उपयोगकर्ता को मिलता है।
वर्तमान में सार्वजनिक सेवाओं पर सरकारी एजेंसियों का ही एकाधिकार है और अक्सर यह देखने में आता है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा इस एकाधिकार का लाभ मनमाने ढंग से कार्य करने और भ्रष्टाचार की गतिविधियों में लिप्त होकर उठाया जाता है। इसके प्रमुख उदाहरणों में हमारा दूरसंचार क्षेत्र है जो कुछ दिनों पहले तक सरकार के हाथों का मोहरा बना हुआ था, क्योंकि भारतीय दूरसंचार अधिनियम 1885 में इस बात का अनुबंध था कि दूरसंचार विभाग ही दूरसंचार क्षेत्र में नीति निर्माता, सेवा प्रदाता और लाइसेंस दाता के रूप में काम करेगा। इसके कारण दूरसंचार की सुविधाएँ बहुत महँगी हो गईं तथा भ्रष्टाचार नए रूपों में प्रकट हुआ। परंतु नीतियों में बदलाव कर निजी क्षेत्र को भी इसमें शामिल करने की अनुमति प्रदान की गई जिससे सेवाओं की लागत में तो कमी आई साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र में हो रहे भ्रष्टाचार में भी गिरावट दर्ज की गई।
आज कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ सरकारी एकाधिकार को समाप्त कर निजी क्षेत्र को प्रतिस्पर्द्धा में शामिल कर व भ्रष्टाचार को कम करके सुविधाओं को जन सुलभ बनाया जा सकता है। परंतु आवश्यकता एक विनियमन व्यवस्था की है जिसके माध्यम से सरकारी व निजी कंपनियों पर नज़र रखी जा सके ताकि लोकहित में किसी प्रकार का समझौता न हो। क्योंकि इस बात की भी पूरी संभावना है कि सिर्फ मुनाफा चाहने वाली ये निजी एजेंसियाँ कई बार सरकारी एजेंसियों से भी अधिक भ्रष्ट हो सकती हैं।
वर्तमान में पीपीपी मॉडल (लोक निजी भागीदारी) सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को और अधिक सुगम बना रहा है।